Sunday, May 12, 2013

.वो केवल और केवल ....माँ थी ....

जब भी मैं घबराती 
भीड़ से कतराती 
एक अनोखी ढाल लिए वो ...
सामने मेरे आती ....                          


कहतीं वो मुझसे 
हाथी चले बाजार तो…… 
कुत्ते भौकें हजार 
इन कुत्तों से घबराना क्यों ?
दिल को अपने सहमाना  क्यों ?

जब भी मैं कभी  उन्हें उदास दिखी 
मुस्कुराते हुए कहा उन्होंने ...
निशा ..तुम्हारी किस्मत ..भगवान् ने ..(शायद हर माँ ऐसा विश्वास दिलाती                                                                                                                                                                                           
                                                          है  अपने बच्चे को )
                                                              
सोने के कलम से लिखी .....

इसीलिए कभी जिन्दगी में 
उदास नहीं होना 
परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो 
हरदम हँसती  रहना .....

याद रखना ..
पानी की अधिकता और कमी से 
पौधे रहते हैं कुम्भलाये 
जो मिल-जुलकर खाए 
वही राजा  घर जाए ......

राजा  और रानी की कहानी उसने 
कई बार सुनाई थी ....
बिना कहे कई बातें अनजाने में ..हीं ...
सिखाई थी .....

माँ बनकर जान गई 
कितना कठिन होता है 
माँ की भूमिका निभाना 
आसान नहीं होता 
बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना ...

आज वो नहीं होकर..... भी है .....
मेरी हँसी की खनक में 
मेरे चेहरे की चमक में ......

वो कल भी थी ..
वो आज भी है ....
वो कल भी रहेगी ..
                  क्योंकि ... वो
 न औरत थी
न पत्नी थी  
 न बहन थी 
न बेटी थी ....वो केवल और केवल ....माँ थी .....







26 comments:

  1. माँ,जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है.बहुत हीं सुन्दर रचना.

    ReplyDelete
  2. सुन्दर रचना । माँ सृष्टि का आधार है , परिवार की धुरी है , संस्कृति की संरक्षिका ,उस की वाहिका है ।

    ReplyDelete

  3. माँ दिवस पर माँ को समर्पित अर्पित कवितावली से बढ़िया और याद भला क्या हो सकती है .माँ होती है वह है जो हर हाल ढ़ाढ स बंधाये .पोजिटिव ठाट दे एनर्जी दे .ॐ शान्ति .

    ReplyDelete
  4. बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.

    ReplyDelete
  5. न औरत थी
    न पत्नी थी
    न बहन थी
    न बेटी थी ....वो केवल और केवल ....माँ थी .....

    माँ के ममता मयी रूप के साथ उसके स्वरुप का चित्रण वाह क्या बात है नमन

    ReplyDelete
  6. बहुत बेहतरीन रचना !!

    ReplyDelete
  7. वाह.. कोमल भाव लिए बहुत ही सुन्दर
    ममतामयी रचना... अति सुन्दर...
    :-)

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार!
    --
    ममतामयी माँ को नमन!

    ReplyDelete
  9. परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो
    हरदम हँसती रहना ...
    माँ का ये शब्‍द हर बच्‍चे के लिये हौसला होते हैं ...
    आभार इस प्रस्‍तुति के लिए

    ReplyDelete
  10. वो कल भी थी ..
    वो आज भी है ....
    वो कल भी रहेगी ..
    क्योंकि ... वो
    ...... केवल और केवल ....माँ थी .....

    ....शाश्वत सत्य...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  11. वो केवल माँ है ...
    सच है वो कहीं नहीं जाती ... रहती है आस पास ... थाम लेती है हाथ अब भी ...

    ReplyDelete
  12. माँ जीवन का आधार है,सृजन है
    बहुत सुंदर भावों के साथ रची गयी है
    आपकी रचना
    सादर


    ReplyDelete
  13. माँ जीवन का आधार है,सृजन है
    बहुत सुंदर भावों के साथ रची गयी है
    आपकी रचना
    सादर


    ReplyDelete
  14. पूरे ब्राहमाड में मॉ से बडा कोई नहीं है
    ,
    जैसे भगवान के प्रसाद में अलग ही स्‍वाद होता है,
    वैसे ही जिस रचना में मॉ का नाम हो वह अपने आप में ही विशिष्‍ट बन जाती है
    हिन्‍दी तकनीकी क्षेत्र कुछ नया और रोचक पढने और जानने की इच्‍छा है तो इसे एक बार अवश्‍य देखें,
    लेख पसंद आने पर टिप्‍प्‍णी द्वारा अपनी बहुमूल्‍य राय से अवगत करायें, अनुसरण कर सहयोग भी प्रदान करें
    MY BIG GUIDE

    ReplyDelete
  15. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  16. माँ जैसा कोई नही, आपने बहुत सुंदर वर्णन किया है,

    ReplyDelete
  17. Very Nice... being Mother is a diff. one to pull off... nice poem..

    ReplyDelete
  18. माँ के प्रति भाव राग से पूरित पोस्ट .

    माँ के प्रति भाव राग से पूरित पोस्ट .माँ तो केवल माँ होती है ,उससा दूजा मिले न कोई ......

    ReplyDelete
  19. भावमय रचना माँ पर .आभार आपकी टिप्पणियों का .

    ReplyDelete
  20. माँ बनकर जान गई
    कितना कठिन होता है
    माँ की भूमिका निभाना
    आसान नहीं होता
    बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना ...माँ का पूरा कर्म का उद्देश्य का सार है.

    ReplyDelete
  21. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  22. माँ बनकर जान गई
    कितना कठिन होता है
    माँ की भूमिका निभाना
    आसान नहीं होता
    बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना

    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete