Thursday, October 20, 2011

मुर्गा बोला ....


मुर्गा बोला ....
कुकड़ू कु 
हुआ सबेरा जागो तुम 
दुनियां  जागी 
मुनियाँ जागी 
जाग रहा है 
घर सारा 
मुर्गी रानी 
मान भी जाओ 
तुम बिन मेरा 
कौन सहारा ?




मुर्गी बोली ........

खुद को दयनीय  बताकर 
दिल मेरा हर लेते हो ?
चाँद सितारे मेरे दामन में भरोगे .......
कहकर मुझे सब्जबाग दिखलाते हो ..........
छल करने की ये अनोखी अदा 
किस छलिये से सीखी है ?
देखी होंगी बहुत सारी पर ........
मुझ सी नही देखी होगी 
नही चाहिये चाँद सितारे 
नही महल न हरकारा 
मुर्गे राजा मुझको चाहिए 
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .

13 comments:

  1. बहुत बढि़या ।

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  2. ek chhoti si muskurahat tair gayee mere chehre pe:)

    pyari si rachna!

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  3. वाह रे मुर्गा ...भावपूर्ण

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  4. bahut sundar murga aur murgi dampati pe likha apne
    badhai ho..

    aap mere blog pe sadar amatrit hai...

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  5. सलामत रहे साथ.

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  6. मुर्गियों के बहाने पत्नियां और प्रेमिकाएं भी चाहें तो सीख ले सकती हैं।

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  7. बहुत चलता पुर्जा है मुर्गा बाबू....मॉर्निंग टी पीनी होगी, इसीलिए जगा रहा है मैडम को!!

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  8. wah bahut khub , sunder prastuti .

    aapbhi m.p. se hai jankar accha laga .

    meri nayi post par aapka swagat hai .

    http/sapne-shashi.blogspot.com

    apne post comments ko easy banayiye . aasani se post kar sake .

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  9. wonderful conversation..........

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