कुकड़ू कुं
झूठ नही सच मानो तुम
फँसा हुआ था काम में नही मिली
मुझे छुट्टी .......
छोटी सी इस बात पे
नही करो तुम कुट्टी .....
गाँव की क्या बात मै तुमको ......
स्विट्जरलैंड ले जाऊंगा ......
दुनिया की हर खुबसूरत जगहों की
सैर करवाऊंगा .....
दिखलाऊंगा दिल खोलकर
मनभावन हसीन नज़ारा......
मुर्गी रानी मान भी जाओ
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?
मुर्गी बोली ..........
ऊँची -ऊँची बातों से दिल मेरा बहलाते हो .....
मीठी -मीठी बातें कर
मुझे चने की झाड़ पे चढाते हो ?
सच क्या है ?झूठ क्या है ?
अंतर करना मैं जानती हूँ .......
लाख छुपाओ मुझसे खुद को पर ! मै ...तुम्हें...........?
अच्छी तरह पहचानती हूँ .....
जीवन की हर उलझन से मुक्त होकर जहाँ ..........
गीत गए बंजारा ..........
छोटे से प्यारे से गाँव में
जाने को तरसरहा है दिल मेरा बेचारा ...
उस प्यारे से गाँव में ....
पीपल की ठंडी छांह में
जहाँ सखियों की टोली हो .....
कोयल की मीठी बोली हो .....
बारिश का पानी औ कागज की कश्ती हो .....
जहाँ सखियों करती मनमानी हो ......
पद सत्ता औ दिखावे की चाह से ....
दुनियां बेमानी हो .....
नही जाना स्विट्जरलैंड मुझको
न हीं देखना कोई हसीन नज़ारा ....
मुर्गे राजा मुझको चाहिए
केवल औ केवल साथ तुम्हारा........
सुंदर रचना अच्छी पोस्ट,बधाई....
ReplyDeleteमेरा मुख्य ब्लॉग 'काव्यांजली,देखे,
वर्ड वेरीफिकेसन हटा ले परेशानी होती है......
अच्छा ब्लोग !
ReplyDeleteअच्छी कविता-जयहो !
ACHCHHEE BHAWANAA KE SATH LIKHEE BEHATAREEN RACANAA.
ReplyDeleteमुर्गी बोली ..........
ReplyDeleteऊँची -ऊँची बातों से दिल मेरा बहलाते हो .....
मीठी -मीठी बातें कर
मुझे चने की झाड़ पे चढाते हो ?
सच क्या है ?झूठ क्या है ?
अंतर करना मैं जानती हूँ .......
लाख छुपाओ मुझसे खुद को पर ! मै ......
अच्छी तरह पहचानती हूँ .....
जीवन के हर उलझन से मुक्त होकर जहाँ
गीत गए बंजारा ..........
छोटे से प्यारे से गाँव में
bahut hi pyaari
सुंदर रचना अच्छी पोस्ट,बधाई....
ReplyDeletevah!murgi ne bahut achha kaha...
ReplyDeleteअति सुन्दर मुर्गे मुर्गी की प्रेम वार्ता के साथ कुछ जिन्दगी के सच भी ,बधाई
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना ! मुर्गा मुर्गी के माध्यम से आज के सच को बड़ी खूबसूरती के साथ उकेरा है ! बधाई !
ReplyDeleteअति सुन्दर ...जीवन का सच ..
ReplyDeleteसंदेश परक कवितायें हैं दोनों।
ReplyDeleteमेरे 'विद्रोही स्वर'पर आपकी टिप्पणी हेतु धन्यवाद।
thanks to all.
ReplyDeleteसुन्दर रचना के लिए बधाई
ReplyDeleteउस प्यारे से गाँव में ....
ReplyDeleteपीपल की ठंडी छांह में
जहाँ सखियों की टोली हो .....
कोयल की मीठी बोली हो .....
बारिश का पानी औ कागज की कश्ती हो .....
जहाँ सखियों करती मनमानी हो ......
पद सत्ता औ दिखावे की चाह से ....
दुनियां बेमानी हो .....
नही जाना स्विट्जरलैंड मुझको
न हीं देखना कोई हसीन नज़ारा ....
मुर्गे राजा मुझको चाहिए
केवल औ केवल साथ तुम्हारा........
ati sundar....
Lovely !
ReplyDeleteआदरणीया निशा जी जीवन की चाह और यथार्थ , मुक्त रहने की लालसा को को आप ने बड़ी ही सहजता से दर्शाया ..मन अभिभूत हुआ ,बधाई
ReplyDeleteभ्रमर ५
जीवन की हर उलझन से मुक्त होकर जहाँ ..........
गीत गए बंजारा ..........
छोटे से प्यारे से गाँव में
जाने को तरसरहा है दिल मेरा बेचारा ...
उस प्यारे से गाँव में ....
पीपल की ठंडी छांह में
जहाँ सखियों की टोली हो .....
कोयल की मीठी बोली हो .....
बारिश का पानी औ कागज की कश्ती हो .....
जहाँ सखियों करती मनमानी हो ......
पद सत्ता औ दिखावे की चाह से ....
दुनियां बेमानी हो .....
"उस प्यारे से गाँव में ....
ReplyDeleteपीपल की ठंडी छांह में
जहाँ सखियों की टोली हो .....
कोयल की मीठी बोली हो .....
बारिश का पानी औ कागज की कश्ती हो ..."
बहुत ही प्यार और मिठास भरी सुंदर पंक्तियाँ ।
thanks to all.
ReplyDeleteबहुत सुंदर गंभीर भाव. बधाई.
ReplyDeleteनिशा जी,..आपका मेरे नई पोस्ट -वजूद-में स्वागत है..
ReplyDeleteनिशा जी,...आप पोस्ट कमेंट्स से वर्डवेरीफिकेशन हटा ले.टिप्पणी करने में असुविधा होती है....
ReplyDeletedheerendra jee word verification hat gaya hai....
Deleteबिलकुल नया अंदाज, नया रंग पहली बार पढ़ा ..
ReplyDeleteउस प्यारे से गाँव में ....
पीपल की ठंडी छांह में
सुन्दर और सार्थक भाव है रचना में
यक़ीनन अच्छा लगा
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteGyan Darpan
Matrimonial Site
बहुत ही अलग ढ़ँग की बेहतरीन रचना...लाजवाब।
ReplyDeleteअच्छी रचना,
ReplyDeleteबहुत सुंदर,क्या कहने
बहुत ही अच्छा लिखा है .बेहतरीन रचना .
ReplyDeletethanks both of you.
ReplyDeleteapne hi andaj ki sunder kavita
ReplyDeletebadhai
rachana
बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद !
ReplyDeleteमुर्गा मुर्गी की अच्छी लगी बतकही
ReplyDeleteनही जाना स्विट्जरलैंड मुझको
ReplyDeleteन हीं देखना कोई हसीन नज़ारा ....
अगर इतना प्रेम इंसानों में आ जाये तो .....:))
शुभकामनायें मुर्गी को ...
ReplyDelete:-)
jeevant rachana hai jo dil ko choo jati hai
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