Sunday, January 8, 2012

मुर्गा बोला -(भाग- 3)

मुर्गा बोला कुकड़ू कू.........
क्या कमाता हूँ ?कहाँ जाता हूँ ?
पूछनेवाली कौन होती है तूँ ?
बाती जल जाती है ....
.रह जाता है सिर्फ दीया........
खुद से पूछकर देखो ?
तेरी औकात है क्या ?

अपनी मर्जी का मालिक हूँ ....
हूँ नही गुलाम तुम्हारा ......
कभी नहीं सुन पाओगी मुझसे ......
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?


मुर्गी बोली ........
मै कौन हूँ ?
औकात है मेरी क्या ?
मै हूँ एक बाती ....
तुम एक निर्दय दीया ......
सहधर्मिणी हूँ तुम्हारी
अपनी औकात मै बतलाउंगी
भटक गए हो रास्ते से .....
सही राह मै दिखलाउंगी  ....
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरंक्षण अधिनियम २००५ औ
४९८अ का प्रभाव तुम पर आज्माउन्गी ???????????????

निर्दय होकर मै भी तुमको ..................
जेल की चक्की पिस्वाउंगी
कष्ट में तुम्हे देखकर भी
नहीं पिघलेगा दिल मेरा बेचारा
भूले से भी नही सोचना
कहूंगी तुमसे मै ........

मुर्गे राजा......मुझको चाहिए .....
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .......







29 comments:

  1. All comments are deleted due to some mistake.

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  2. निर्दय होकर मै भी तुमको ..................
    जेल की चक्की पिस्वाउंगी
    कष्ट में तुम्हे देखकर भी
    नहीं पिघलेगा दिल मेरा बेचारा
    भूले से भी नही सोचना
    कहूंगी तुमसे मै ........

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  3. Don't worry comments phir kar denge

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  4. जबरदस्त चल रहा है ये मुर्गा पुराण...

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  5. निशा जी माफ कीजिये मगर मैंने जो बताया उसमे कमेन्ट डिलीट होने जैसा तो कुछ नहीं था..शायद आपसे समझने में कुछ गडबड हो गयी..आप रुकिए मैं आपको यू ट्यूब का लिंक देती हूँ आप उससे सीख लेन..
    i'm sorry once again :-(

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  6. बढि़या. कभी-कभी मुर्गे को सबक सिखाना पड़ता है.

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  7. यह सही रही ....
    शुभकामनायें आपको !

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  8. Replies
    1. बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

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  9. bahut khub nisha ji....achi lgi aap ki rachna....Word verification hta dengi to sab ko aasani rhegi...shukriya...

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  10. इसको कहते हैं सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे ,
    मुर्गे को आगाह भी कर दिया और प्रेम भी बना रहा |
    सुंदर रचना

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  11. मुर्गे के माध्यम से बहुत अच्छी बातें कह देती हैं आप।

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  12. बहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।

    हिंदी दुनिया

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  13. बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  14. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  15. भटक गए हो रास्ते से .....
    सही राह मै दिखलाउंगी ....
    घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरंक्षण अधिनियम २००५ औ
    ४९८अ का प्रभाव तुम पर आज्माउन्गी

    waah bahut khoob, ek seekh deti hai aap ki ye murga puran.mere blog pe aane ke liye dhanyawad Nisha ji.

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  16. आपकी बहुत सुन्दर रचना

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  17. क्या बात है निशा जी!...मुर्गा-मुर्गी के माध्यम से आपने स्त्री और पुरुष की मानसिकता का सही वर्णन किया है!...धन्यवाद!

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  18. बहुत सुन्दर रचना, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति , बधाई.

    meri kavitayen ब्लॉग की मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें.

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  19. निशा जी मुर्गा विशेषांक के रूप में आपकी ये पोस्ट कुछ अलग लगी और खास भी... बहुत सुन्दर पोस्ट है..और कुछ बाते सिखाती है ... औरत और आदमी के रिश्तों में बराबरी प्रेम की महत्ता को जताती है..

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  20. आपके समर्थन और शुभकामनाओं का ह्रदय से आभारी हूँ.

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  21. महिलाओं पर हो रही घरेलु हिंसा पर मुर्गी - मुर्गे के प्रतिबिम्ब को लेकर सुंदर व्यन्ग किया है और एक गंभीर समस्या को बखूबी इंगित किया है. सचमुच यह सोचने का विषय है.

    सुंदर प्रस्तुति.

    बधाई.

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  22. मुर्गा बोला कुकड़ू कू.........
    क्या कमाता हूँ ?कहाँ जाता हूँ ?
    पूछनेवाली कौन होती है तूँ ?...

    bhai vaah ! murga ho mard... ek hi kissa hai !

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  23. बहुत ही खूबसूरत लगी आपकी यह प्रस्तुति.
    वाह! निशा जी वाह!

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