मुर्गा बोला कुकड़ू कू.........
क्या कमाता हूँ ?कहाँ जाता हूँ ?
पूछनेवाली कौन होती है तूँ ?
बाती जल जाती है ....
.रह जाता है सिर्फ दीया........
खुद से पूछकर देखो ?
तेरी औकात है क्या ?
अपनी मर्जी का मालिक हूँ ....
हूँ नही गुलाम तुम्हारा ......
कभी नहीं सुन पाओगी मुझसे ......
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?
मुर्गी बोली ........
मै कौन हूँ ?
औकात है मेरी क्या ?
मै हूँ एक बाती ....
तुम एक निर्दय दीया ......
सहधर्मिणी हूँ तुम्हारी
अपनी औकात मै बतलाउंगी
भटक गए हो रास्ते से .....
सही राह मै दिखलाउंगी ....
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरंक्षण अधिनियम २००५ औ
४९८अ का प्रभाव तुम पर आज्माउन्गी ???????????????
निर्दय होकर मै भी तुमको ..................
जेल की चक्की पिस्वाउंगी
कष्ट में तुम्हे देखकर भी
नहीं पिघलेगा दिल मेरा बेचारा
भूले से भी नही सोचना
कहूंगी तुमसे मै ........
मुर्गे राजा......मुझको चाहिए .....
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .......
क्या कमाता हूँ ?कहाँ जाता हूँ ?
पूछनेवाली कौन होती है तूँ ?
बाती जल जाती है ....
.रह जाता है सिर्फ दीया........
खुद से पूछकर देखो ?
तेरी औकात है क्या ?
अपनी मर्जी का मालिक हूँ ....
हूँ नही गुलाम तुम्हारा ......
कभी नहीं सुन पाओगी मुझसे ......
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?
मुर्गी बोली ........
मै कौन हूँ ?
औकात है मेरी क्या ?
मै हूँ एक बाती ....
तुम एक निर्दय दीया ......
सहधर्मिणी हूँ तुम्हारी
अपनी औकात मै बतलाउंगी
भटक गए हो रास्ते से .....
सही राह मै दिखलाउंगी ....
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरंक्षण अधिनियम २००५ औ
४९८अ का प्रभाव तुम पर आज्माउन्गी ???????????????
निर्दय होकर मै भी तुमको ..................
जेल की चक्की पिस्वाउंगी
कष्ट में तुम्हे देखकर भी
नहीं पिघलेगा दिल मेरा बेचारा
भूले से भी नही सोचना
कहूंगी तुमसे मै ........
मुर्गे राजा......मुझको चाहिए .....
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .......
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ReplyDeleteनिर्दय होकर मै भी तुमको ..................
ReplyDeleteजेल की चक्की पिस्वाउंगी
कष्ट में तुम्हे देखकर भी
नहीं पिघलेगा दिल मेरा बेचारा
भूले से भी नही सोचना
कहूंगी तुमसे मै ........
Don't worry comments phir kar denge
ReplyDeleteजबरदस्त चल रहा है ये मुर्गा पुराण...
ReplyDeleteनिशा जी माफ कीजिये मगर मैंने जो बताया उसमे कमेन्ट डिलीट होने जैसा तो कुछ नहीं था..शायद आपसे समझने में कुछ गडबड हो गयी..आप रुकिए मैं आपको यू ट्यूब का लिंक देती हूँ आप उससे सीख लेन..
ReplyDeletei'm sorry once again :-(
good
ReplyDeleteबढि़या. कभी-कभी मुर्गे को सबक सिखाना पड़ता है.
ReplyDeletethanks to all.
Deleteयह सही रही ....
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
waah padh ke maja aa gya
ReplyDeleteachha lga.
ReplyDeletevery good.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन , बधाई.
Deletebahut khub nisha ji....achi lgi aap ki rachna....Word verification hta dengi to sab ko aasani rhegi...shukriya...
ReplyDeleteइसको कहते हैं सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे ,
ReplyDeleteमुर्गे को आगाह भी कर दिया और प्रेम भी बना रहा |
सुंदर रचना
मुर्गे के माध्यम से बहुत अच्छी बातें कह देती हैं आप।
ReplyDeleteबहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।
ReplyDeleteहिंदी दुनिया
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteभटक गए हो रास्ते से .....
ReplyDeleteसही राह मै दिखलाउंगी ....
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरंक्षण अधिनियम २००५ औ
४९८अ का प्रभाव तुम पर आज्माउन्गी
waah bahut khoob, ek seekh deti hai aap ki ye murga puran.mere blog pe aane ke liye dhanyawad Nisha ji.
आपकी बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteक्या बात है निशा जी!...मुर्गा-मुर्गी के माध्यम से आपने स्त्री और पुरुष की मानसिकता का सही वर्णन किया है!...धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना, ख़ूबसूरत भावाभिव्यक्ति , बधाई.
ReplyDeletemeri kavitayen ब्लॉग की मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारकर अपना स्नेह प्रदान करें.
निशा जी मुर्गा विशेषांक के रूप में आपकी ये पोस्ट कुछ अलग लगी और खास भी... बहुत सुन्दर पोस्ट है..और कुछ बाते सिखाती है ... औरत और आदमी के रिश्तों में बराबरी प्रेम की महत्ता को जताती है..
ReplyDeleteआपके समर्थन और शुभकामनाओं का ह्रदय से आभारी हूँ.
ReplyDeleteमहिलाओं पर हो रही घरेलु हिंसा पर मुर्गी - मुर्गे के प्रतिबिम्ब को लेकर सुंदर व्यन्ग किया है और एक गंभीर समस्या को बखूबी इंगित किया है. सचमुच यह सोचने का विषय है.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति.
बधाई.
very well saidd :D
ReplyDeleteमुर्गा बोला कुकड़ू कू.........
ReplyDeleteक्या कमाता हूँ ?कहाँ जाता हूँ ?
पूछनेवाली कौन होती है तूँ ?...
bhai vaah ! murga ho mard... ek hi kissa hai !
बहुत ही खूबसूरत लगी आपकी यह प्रस्तुति.
ReplyDeleteवाह! निशा जी वाह!