मुर्गा बोला -कुकड़ू कूं
आ नहीं पाया होली में
नाराज तुम होती हो क्यूँ ?
जानता हूँ .........
फागुनी बयार ने ...
भौरों के गुंजार ने ...
पलाश के दहकते श्रृगार ने ....
वसंत दूत की मीठी कूक ने ...
मेरे वियोग में ,दिल में उठी हूक ने ....
तुम्हे जी भरतडपाया होगा ..........
पिछली होली की यादों ने
मेरे द्वारा किये गये वादों ने
तेरा दिल बहुत दुखाया होगा पर ........?
याद रखो जीवन में चाही गई कई इच्छाएं .......
नहीं हो पाती हैं पूरी
जीवनसाथी हो मेरी
समझो मेरी मज़बूरी .
इंतजार करो मिलन के
स्वर्णिम क्षणों का जब ....
करूंगा हर कमी क़ी भरपाई
उत्साह औ उमंग के रंग से
रंगेगा खुशियों भरा संसार हमारा
मुर्गी रानी मान भी जाओ
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?
मुर्गी बोली .........
नाराज नही हूँ मै......
मेरे दुःख को समझो यार
एक दूजे के गम को हर ले
इसे कहते हैं प्यार .......
फूलों पर मंडरा रही है
तितलियाँ हौले -हौले
कोयल ,मोर .पपीहा बोले
भेद प्रणय के सभी हैं खोले
मदनोत्सव (होली ) के रंगीन माहौल में
चैन नही यहाँ ......
विरहाग्नि से दग्ध उर से
आवाज आ रही .......
मोरे पिया तूं कहाँ ?
तो क्या हुआ ?
तुम बिन गुजरी मेरी होली ....
यादें थी पिछली होली क़ी
थी नही मै अकेली ......
विश्वास औ प्यार भरा साथ हो गर ...?
जीवनसाथी का तो ????????/
हर दिन होली और हर रात दिवाली होती है
तन- मन प्यार के रंग रंगे
यही तो जीवन क़ी ज्योति है .....
जीवनसाथी का साथ है ऐसे जैसे
नदी औ किनारा
मुर्गे राजा ! मुझको चाहिए
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .......
मुर्गे -मुर्गी के संवाद ने अगर आपको थोड़ी सी भी खुशियाँ दी हो तो
कृपया अपने विचार अवश्य लिखें .भले मेरे साथ न्याय न करें पर अपने
साथ अन्याय क्यों ???????///धन्यवाद गुप्त दोस्त ..
आ नहीं पाया होली में
नाराज तुम होती हो क्यूँ ?
जानता हूँ .........
फागुनी बयार ने ...
भौरों के गुंजार ने ...
पलाश के दहकते श्रृगार ने ....
वसंत दूत की मीठी कूक ने ...
मेरे वियोग में ,दिल में उठी हूक ने ....
तुम्हे जी भरतडपाया होगा ..........
पिछली होली की यादों ने
मेरे द्वारा किये गये वादों ने
तेरा दिल बहुत दुखाया होगा पर ........?
याद रखो जीवन में चाही गई कई इच्छाएं .......
नहीं हो पाती हैं पूरी
जीवनसाथी हो मेरी
समझो मेरी मज़बूरी .
इंतजार करो मिलन के
स्वर्णिम क्षणों का जब ....
करूंगा हर कमी क़ी भरपाई
उत्साह औ उमंग के रंग से
रंगेगा खुशियों भरा संसार हमारा
मुर्गी रानी मान भी जाओ
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?
मुर्गी बोली .........
नाराज नही हूँ मै......
मेरे दुःख को समझो यार
एक दूजे के गम को हर ले
इसे कहते हैं प्यार .......
फूलों पर मंडरा रही है
तितलियाँ हौले -हौले
कोयल ,मोर .पपीहा बोले
भेद प्रणय के सभी हैं खोले
मदनोत्सव (होली ) के रंगीन माहौल में
चैन नही यहाँ ......
विरहाग्नि से दग्ध उर से
आवाज आ रही .......
मोरे पिया तूं कहाँ ?
तो क्या हुआ ?
तुम बिन गुजरी मेरी होली ....
यादें थी पिछली होली क़ी
थी नही मै अकेली ......
विश्वास औ प्यार भरा साथ हो गर ...?
जीवनसाथी का तो ????????/
हर दिन होली और हर रात दिवाली होती है
तन- मन प्यार के रंग रंगे
यही तो जीवन क़ी ज्योति है .....
जीवनसाथी का साथ है ऐसे जैसे
नदी औ किनारा
मुर्गे राजा ! मुझको चाहिए
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .......
मुर्गे -मुर्गी के संवाद ने अगर आपको थोड़ी सी भी खुशियाँ दी हो तो
कृपया अपने विचार अवश्य लिखें .भले मेरे साथ न्याय न करें पर अपने
साथ अन्याय क्यों ???????///धन्यवाद गुप्त दोस्त ..
main soch rahi hun nisha ji jab is murga murgi ke samvad ki puri pustak taiyar ho uthegi wo kitani anokhi hogi hai n .....?
ReplyDeleteagli kadi ka bhi intjar rahega ....
बेहतरीन। बधाई।
ReplyDeleteवाह जी बल्ले बलले ☺
ReplyDeleteमदन दनादन दनदना, देह दिगंत प्रदाह।
ReplyDeleteबजे दुन्दुभी अनवरत, तड़पन रति मति चाह ।
तड़पन रति मति चाह, नियंत्रण काया खोवे ।
सर सरिता अवगाह, बदन दस बार भिगोवे ।
बीते कल की टीस, व्यथा की कथा सुनानी ।
बिगत बार से बीस, बिगड़ न जाय कहानी ।
thanks to all.
ReplyDeleteथोड़ी सी खुशियाँ नहीं बल्कि ढेर सारी खुशियाँ आपने इस ख़ूबसूरत संवाद से बिखेर रही है . अलग सी कविता पढना अलग आनंद ही देती है .बधाई..
ReplyDeleteयाद रखो जीवन में चाही गई कई इच्छाएं .......
ReplyDeleteनहीं हो पाती हैं पूरी
जीवनसाथी हो मेरी
समझो मेरी मज़बूरी .
बेहतरीन प्रस्तुति.
आपकी प्रस्तुति की अनूठी शैली गजब ढहा रही है.
बहुत बहुत आभार,निशा जी.
च्च्च, च्च्च....हाय हाय ये मजबूरी!!
ReplyDeleteसुन्दर दाम्पत्य है इन दोनों का -आपसी समझ बनी रहे !
ReplyDeletebahut sundar samvad :)
ReplyDeletewah .....bahut hi sundar rachana ....badhai nisha ji
ReplyDeleteमुर्गे-मुर्गी के बहाने मानो आपने मानव-मन की परतें भी खोली हैं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteआपका आभार…
कृपया अपने ब्लॉग पर से वर्ड वैरिफ़िकेशन हटा देवे इससे टिप्पणी करने में दिक्कत और परेशानी होती है।
" आपका सवाई "
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...मानो मनुष्य मन के भाव हो........
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद । Please remove word remove word verification.
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत पोस्ट, आभार.
ReplyDeleteविश्वास औ प्यार भरा साथ हो गर ...?
ReplyDeleteजीवनसाथी का तो ????????/
हर दिन होली और हर रात दिवाली होती है
तन- मन प्यार के रंग रंगे
यही तो जीवन क़ी ज्योति है .....
beautiful lines with touching emotions.
the way of expression is simple and nice.
बहुत ही खूबसूरत
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर कल्पना की उड़ान है!...बहुत अच्छा लग रहा है!
ReplyDeleteमुर्गा और मुर्गी को आलम्ब और आलंबन बना कर लीं सारी बातें यादें , भूली बिसरी बातें
ReplyDeleteNICE POEM MEM
ReplyDeletesuperb conversation ....... really awesome :-)
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