ब्लागर साथियों आइए आज आपको मै अपनी नई कल्पना से मिलवाती हूँ ......मुर्गा पुराण से मुक्ति
दिलवाती हूँ .....बताइएगा कैसी लगी मेरी नई कल्पना एवम रचना .......
बहुत अच्छी बनती थी .....
बात-बेबात बिना वजह ठनती थी
शायद ये लगाव का ही एक रूप था
लहरें खिलखिलाती थी ,
इतराती -इठलाती थी ...
मालूम नही था चट्टान को
ये उसकी आदत थी ....अचानक चट्टान के मन में
आ गया अहंकार ....
अहम् ब्रह्म अस्मि के मद में आकर
करती रही लहरों का तिरस्कार
अपनी धुन में मस्त लहरों को
ये बात समझ में नहीं आई
एक दिन ....जब वो चट्टान के पास आकर खिलखिलाई .
चट्टान ने उसको अपनी आँखें दिखलाई औ ...
निर्दई भाव से चिल्लाई
राह की तेरे बाधाओं को दूर करती हूँ ....
तुझे क्या पता कि खुश रहने के लिए मै तेरे
क्या -क्या सहन करती हूँ ???????
सुनकर उसकी बातें
लहरों का दिल टूट गया
जिसे सच्चा साथी समझती थी ?????
उसका साथ उसी पल से छूट गया .............
आज भी उसके जीवन में ....
सच्चे साथी की कमी है
सच्चे साथी की कमी से
उसकी आँखों में नमी है......
सच तो यही है कि ....
सच्चा साथी मिलना किस्मत की बात होती है
उसके अभाव में ही शायद ......
निशा शबनम के आंसू रोती है ...
कोयल कुहूकती है
पपीहा पीऊ -पीऊ पुकारता है
मोर नाचते समय भी रोता है ........
ऐ ...मन ........दु:खी मत हो ...
ऐसा बहुतों के साथ होता है .....
छोड़ दोस्ती चट्टान की
लहरें अभी भी खिलखिलाती है ...
चट्टान जहाँ खड़ी थी
वहीं खड़ी है ....
लहरें अनवरत आगे बढती जाती है ...
आगे बढती जाती है .....
बहुत सुन्दर वाह!...बधाई
ReplyDeletethis is solid as rock and soft as the feelings....great work Dr.
ReplyDeletemujhe bahut hi pasand aaya aapki rachna ka bhav
ReplyDeleteनई कल्पना से मिलना बहुत अच्छा लगा..
ReplyDeleteSahi kaha aapne ..'A true friend is very rare to find ...so when you find a good and true ...never change the old one for the new....'!!!
ReplyDeletesahi bat......
Deleteमुर्गादत्त से इतर चट्टान और लहरों की आर्द्र गाथा अच्छी लगी।
ReplyDeletewah re lahar. tum aage hi badhte jana...:)
ReplyDeleteछोड़ दोस्ती चट्टान की
ReplyDeleteलहरें अभी भी खिलखिलाती है ...
चट्टान जहाँ खड़ी थी
वहीं खड़ी है ....
लहरें अनवरत आगे बढती जाती है ...
आगे बढती जाती है .....
samay ke saath chalte rahna in laharon se koi seekhe--------bahut bahut hi achhi prastuti aur aapke blog par aakar man khush ho gaya ---
is prerakprastuti ke liye aabhaar----
poonam
चट्टान जहाँ खड़ी थी
ReplyDeleteवहीं खड़ी है ....
लहरें अनवरत आगे बढती जाती है ...
आगे बढती जाती है .....
गहरे भाव .... सार्थक कविता.
समझने वाला चाहिए लहरें तो सिखाती ही हैं !!
Deleteछोड़ दोस्ती चट्टान की
ReplyDeleteलहरें अभी भी खिलखिलाती है ...
चट्टान जहाँ खड़ी थी
वहीं खड़ी है ....
लहरें अनवरत आगे बढती जाती है ...
आगे बढती जाती है .....
मेरे मन की बातें आपने कह दी शुक्रिया ...
खुबसूरत बाते खुबसूरत अंदाज़ में ...
छोड़ दोस्ती चट्टान की
ReplyDeleteलहरें अभी भी खिलखिलाती है ...
चट्टान जहाँ खड़ी थी
वहीं खड़ी है ....
लहरें अनवरत आगे बढती जाती है ...
आगे बढती जाती है .....
bahut sunder rachna
thanks to all...
ReplyDeletebhetreen
ReplyDeleteचट्टान कितना भी अवरोध पैदा करे, लहरें आगे बढ़ती ही जाती हैं।
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