क्षणिकाएं
( 1)
छोटी सी इक बात पे
रोती हुई आँखें
हँसने लगी ....
(2)
बाबुल का अँगना
महकते रहना
दुआ करती हूँ ....
(3)
दिल की दहलीज
सूनी है
कब आओगे ?
(4)
सुख़ गई
शादाब बेलें
बारिश की अधिकता से ...
(5)
सुनाया जो दुःख अपना
साँझ ने निशा से
वो शबनम के आँसू
रोती रही .....
(शादाब -हरी -भरी )
.
बहुत ही अच्छी क्षणिकाए हैं ...
ReplyDeleteशानदार ......
sundar panktiyan
ReplyDeleteबहुत खूब! नज़र न लगे...आज एक अलग ही रंग में नज़र आ रही हैं।
ReplyDeleteनया रूप ...बहुत खूब
ReplyDeleteसुंदर ...
ReplyDeleteपहली बार क्षणिका नाम की विधा से परिचित हुआ हूँ....
ReplyDeleteबेहद उम्दा....!!
बेहद उम्दा क्षणिकाएँ.
ReplyDeletethanks to all...
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteअच्छी क्षणिकांए
देखन में छोटन लगे
घाव करे गंभीर..
निशा जी बहुत सुन्दर क्षणिकाएं बन पड़ी हैं ...
ReplyDeleteसुने जो दुःख अपना सांझ ने निशा से .....
वो शबनम के आंसू ...रोती रही
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
बहुत बहुत शुक्रिया द्रुत टिपण्णी के लिए .स्वागतेय , पहल आपकी .बहुत बढ़िया है यह भाव कणिका आपकी .
ReplyDeleteभाव कणिकाओं में जान है ,पहचान है आपकी .
बहुत बहुत शुक्रिया द्रुत टिपण्णी के लिए .स्वागतेय , पहल आपकी .बहुत बढ़िया है यह भाव कणिका आपकी .
ReplyDeleteभाव कणिकाओं में जान है ,पहचान है आपकी .
वाह.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर निशा जी....
मानों माला के मोती बिखरे हो पन्ने पर...
सस्नेह
अनु
सुनाया जो दुःख अपना
ReplyDeleteसाँझ ने निशा से
वो शबनम के आँसू
रोती रही ..... वाह....वाह....