जब भी मैं घबराती
भीड़ से कतराती
एक अनोखी ढाल लिए वो ...
सामने मेरे आती ....
कहतीं वो मुझसे
हाथी चले बाजार तो……
कुत्ते भौकें हजार
इन कुत्तों से घबराना क्यों ?
दिल को अपने सहमाना क्यों ?
जब भी मैं कभी उन्हें उदास दिखी
मुस्कुराते हुए कहा उन्होंने ...
निशा ..तुम्हारी किस्मत ..भगवान् ने ..(शायद हर माँ ऐसा विश्वास दिलाती
है अपने बच्चे को )
सोने के कलम से लिखी .....
इसीलिए कभी जिन्दगी में
उदास नहीं होना
परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो
हरदम हँसती रहना .....
याद रखना ..
पानी की अधिकता और कमी से
पौधे रहते हैं कुम्भलाये
जो मिल-जुलकर खाए
वही राजा घर जाए ......
राजा और रानी की कहानी उसने
कई बार सुनाई थी ....
बिना कहे कई बातें अनजाने में ..हीं ...
सिखाई थी .....
माँ बनकर जान गई
कितना कठिन होता है
माँ की भूमिका निभाना
आसान नहीं होता
बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना ...
आज वो नहीं होकर..... भी है .....
मेरी हँसी की खनक में
मेरे चेहरे की चमक में ......
वो कल भी थी ..
वो आज भी है ....
वो कल भी रहेगी ..
क्योंकि ... वो
न औरत थी
न पत्नी थी
न बहन थी
न बेटी थी ....वो केवल और केवल ....माँ थी .....
भीड़ से कतराती
एक अनोखी ढाल लिए वो ...
सामने मेरे आती ....
कहतीं वो मुझसे
हाथी चले बाजार तो……
कुत्ते भौकें हजार
इन कुत्तों से घबराना क्यों ?
दिल को अपने सहमाना क्यों ?
जब भी मैं कभी उन्हें उदास दिखी
मुस्कुराते हुए कहा उन्होंने ...
निशा ..तुम्हारी किस्मत ..भगवान् ने ..(शायद हर माँ ऐसा विश्वास दिलाती
है अपने बच्चे को )
सोने के कलम से लिखी .....
इसीलिए कभी जिन्दगी में
उदास नहीं होना
परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो
हरदम हँसती रहना .....
याद रखना ..
पानी की अधिकता और कमी से
पौधे रहते हैं कुम्भलाये
जो मिल-जुलकर खाए
वही राजा घर जाए ......
राजा और रानी की कहानी उसने
कई बार सुनाई थी ....
बिना कहे कई बातें अनजाने में ..हीं ...
सिखाई थी .....
माँ बनकर जान गई
कितना कठिन होता है
माँ की भूमिका निभाना
आसान नहीं होता
बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना ...
आज वो नहीं होकर..... भी है .....
मेरी हँसी की खनक में
मेरे चेहरे की चमक में ......
वो कल भी थी ..
वो आज भी है ....
वो कल भी रहेगी ..
क्योंकि ... वो
न औरत थी
न पत्नी थी
न बहन थी
न बेटी थी ....वो केवल और केवल ....माँ थी .....
माँ,जो मेरे लिए भगवान से भी बढ़कर है.बहुत हीं सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसुन्दर रचना । माँ सृष्टि का आधार है , परिवार की धुरी है , संस्कृति की संरक्षिका ,उस की वाहिका है ।
ReplyDeletemaa ki mahima anant hai
ReplyDelete
ReplyDeleteमाँ दिवस पर माँ को समर्पित अर्पित कवितावली से बढ़िया और याद भला क्या हो सकती है .माँ होती है वह है जो हर हाल ढ़ाढ स बंधाये .पोजिटिव ठाट दे एनर्जी दे .ॐ शान्ति .
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ.
ReplyDeleteन औरत थी
ReplyDeleteन पत्नी थी
न बहन थी
न बेटी थी ....वो केवल और केवल ....माँ थी .....
माँ के ममता मयी रूप के साथ उसके स्वरुप का चित्रण वाह क्या बात है नमन
बहुत बेहतरीन रचना !!
ReplyDeleteवाह.. कोमल भाव लिए बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteममतामयी रचना... अति सुन्दर...
:-)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteसाझा करने के लिए आभार!
--
ममतामयी माँ को नमन!
thanks to all ....
ReplyDeleteपरिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो
ReplyDeleteहरदम हँसती रहना ...
माँ का ये शब्द हर बच्चे के लिये हौसला होते हैं ...
आभार इस प्रस्तुति के लिए
वो कल भी थी ..
ReplyDeleteवो आज भी है ....
वो कल भी रहेगी ..
क्योंकि ... वो
...... केवल और केवल ....माँ थी .....
....शाश्वत सत्य...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
वो केवल माँ है ...
ReplyDeleteसच है वो कहीं नहीं जाती ... रहती है आस पास ... थाम लेती है हाथ अब भी ...
माँ जीवन का आधार है,सृजन है
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों के साथ रची गयी है
आपकी रचना
सादर
माँ जीवन का आधार है,सृजन है
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों के साथ रची गयी है
आपकी रचना
सादर
पूरे ब्राहमाड में मॉ से बडा कोई नहीं है
ReplyDelete,
जैसे भगवान के प्रसाद में अलग ही स्वाद होता है,
वैसे ही जिस रचना में मॉ का नाम हो वह अपने आप में ही विशिष्ट बन जाती है
हिन्दी तकनीकी क्षेत्र कुछ नया और रोचक पढने और जानने की इच्छा है तो इसे एक बार अवश्य देखें,
लेख पसंद आने पर टिप्प्णी द्वारा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें, अनुसरण कर सहयोग भी प्रदान करें
MY BIG GUIDE
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ReplyDeleteमाँ जैसा कोई नही, आपने बहुत सुंदर वर्णन किया है,
ReplyDeleteVery Nice... being Mother is a diff. one to pull off... nice poem..
ReplyDeleteमाँ के प्रति भाव राग से पूरित पोस्ट .
ReplyDeleteमाँ के प्रति भाव राग से पूरित पोस्ट .माँ तो केवल माँ होती है ,उससा दूजा मिले न कोई ......
very sweet
ReplyDelete!
भावमय रचना माँ पर .आभार आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeleteमाँ बनकर जान गई
ReplyDeleteकितना कठिन होता है
माँ की भूमिका निभाना
आसान नहीं होता
बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना ...माँ का पूरा कर्म का उद्देश्य का सार है.
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteमाँ बनकर जान गई
ReplyDeleteकितना कठिन होता है
माँ की भूमिका निभाना
आसान नहीं होता
बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति