Friday, November 29, 2013

..पर ...

अश्कों के समंदर में 
यादों की परियाँ तैरती हैं 
बढ़ी जा रही जीवन पथ पे ...पर ...
बाबूजी.... आपकी कमी बहुत खलती है .

20 comments:

  1. बेहतरीन श्रद्धांजलि पिता को नमन

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शनिवार (30-11-2013) को "सहमा-सहमा हर इक चेहरा" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1447 में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  3. धन्यवाद शास्त्री जी ....

    ReplyDelete
  4. हमेशा खलेगी , कोई विकल्प नहीं उनका !

    ReplyDelete
  5. बेहतरीन श्रद्धांजलि......

    ReplyDelete
  6. मर्मस्पर्शी श्रद्धांजलि...

    ReplyDelete
  7. अश्कों के समंदर में यादों की परियां तैरतीं हैं ,

    बढ़ी जाती जीवन पथ पर ,

    तुम्हारे आदर्शों की तलाश में। भाव पूर्ण यादांजलि।

    ReplyDelete
  8. अपनों की कमी तो हमेशा खलती है ...

    ReplyDelete
  9. फिर भी वो कहीं आस पास में मौजूद होते हैं आभास देते रहते हैं !

    ReplyDelete
  10. ये ऐसी कमी है जो कोई पूरा नहीं कर सकता...

    ReplyDelete
  11. मार्मिक यादों के कारवाँ

    ReplyDelete
  12. आपकी निरंतर उत्प्रेरक टिप्प्णियों के लिए आभार आपका दिल से। सुन्दर प्रस्तुति नै पोस्ट प्रतीक्षित।

    ReplyDelete
  13. बहुत बढियां , कुछ कमी हमेशा खलती है .. सुन्दर सम्प्रेषण ..

    ReplyDelete
  14. बहुत बढियां , कुछ कमी हमेशा खलती है .. सुन्दर सम्प्रेषण ..

    ReplyDelete
  15. अपनों कि कमी हमेशा ही खलती है..
    पर उनकी याद और आशीर्वाद से जिंदगी चलती रहती है..
    नववर्ष कि हार्दिक शुभकामनाएँ ....

    ReplyDelete
  16. शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का हाँ भूख देर तक न लगे एक बार खाने के बाद इसके लिए बिर्मिंघम विश्वविद्यालय के रिसर्चरों ने एक ऐसा खाद्य जेल तैयार किया है जो पेट से तेज़ाब लेकर देर तक फूला रहता है और पेट भरे होने का एहसास करवाता है।

    ReplyDelete