घर छोटा और गाड़ी छोटी पर ---
दिल बड़ा रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया-----
कुर्ते गंदे और जूते गंदे पर ---
नीयत साफ रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया ---
संदूक खाली और हाथ खाली पर ---
आँखें भरी(सपनों से) रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया ---
मन पर बंधन तन पर बंधन पर ---
दिमाग स्वतंत्र रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया ---
दिल बड़ा रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया-----
कुर्ते गंदे और जूते गंदे पर ---
नीयत साफ रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया ---
संदूक खाली और हाथ खाली पर ---
आँखें भरी(सपनों से) रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया ---
मन पर बंधन तन पर बंधन पर ---
दिमाग स्वतंत्र रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया ---
Sundar bhav
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (31-01-2014) को "कैसे नवअंकुर उपजाऊँ..?" (चर्चा मंच-1508) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी ..
Deleteबहुत सुन्दर ,दिल बड़ा होना चाहिए !
ReplyDeleteसियासत “आप” की !
नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteसुन्दर गीत...
ReplyDelete:-)
बेहद खूबसूरत...
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकल 02/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
dhanyavad yashwant jee ...
ReplyDeleteसंदूक खाली और हाथ खाली पर ---
ReplyDeleteआँखें भरी(सपनों से) रखना भैया
मेरे छत के मुंडेरे पे
गाती जाए सोन चिरैया ---
क्या बात है महाराणा निशा जी रूपक तत्व ने पंख पहन लिए हैं रचना। दिल साफ़ रखना भैया -खाब देखते रहना भैया।
सुन्दर और भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
ReplyDeleteवाह !! बहुत सुंदर
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई ----
आग्रह है--
वाह !! बसंत--------
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteबहुत सुंदर ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सघन भावबहुल अर्थ पूर्ण रचना है .शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का .
ReplyDeleteआभार आदरणीय आपकी नेह्पूर्ण टिप्पणियों के लिए गाती जाए सोन चिरैया भाषिक सौंदर्य भाव गंगा लिए है .
ReplyDeleteबड़ी प्यारी रचना है निशा जी , बधाई ! काफी दिन से लिखा क्यों नहीं ?? शुभकामनायें !
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति।।
ReplyDeletebahut sunder ......prastuti
ReplyDeletevisit here ...plz
anandkriti
anandkriti007.blogspot.com
बहुत प्यारी रचना....
ReplyDeleteधन्यवाद संध्या जी
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