अश्क और आहों का
प्यार और बाँहों का
मंज़िल और राहों का
प्यास और तड़प का
जीवन और संघर्ष का
वचन और अनुबंध का
शाम और सवेरा का
प्रकाश और अँधेरा का
साथ और सहारा का
दोस्ती और साझेदारी का
विश्वास और जवाबदारी का
दिल और लाचारी का
अटूट सम्बन्ध है।
इसे सिर्फ पढ़िए नहीं, महसूस करके देखिये। पता चल जायेगा।
बहुत सुन्दर और सार्थक भाव...बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteThanks sharma jee.
Deleteहार्दिक मंगलकामनाओं के आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शुक्रवार (03-04-2015) को "रह गई मन की मन मे" { चर्चा - 1937 } पर भी होगी!
ReplyDelete--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Thanks..shastri jee.
Deleteबहुत सुंदर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : रुके रुके से कदम
सही है ..
ReplyDeleteएक दम सही
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeletekimti rachna hai......
ReplyDeletekimti rachna hai......
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