ऐसा नादाँ इन्सान मैंने देखा नहीं .....
वक्त मुझे तुम सताओगे क्या ???????
सजा खुद को दिया मैंने तुम कर पाओगे क्या??????
वक्त से सीखा भूलना मुश्किल भरे दिन ....
जीना मैंने सीख लिया साथी तेरे बिन
वक्त से दोस्ती बालू की भीत
अनजानी सी राहें पगली सी प्रीत
वक्त के साथ मजबूत होती रही.....
निशा ढलती रही शमा जलती रही .....
@ वक्त से दोस्ती बालू की भीत
ReplyDeleteअनजानी सी राहें पगली सी प्रीत
- वाह!
waah bahut khoob waqt ke saathbadhiya
ReplyDeleteवक्त से दोस्ती बालू की भीत
ReplyDeleteअनजानी सी राहें पगली सी प्रीत...... सुन्दर कल्पना
कितना कुछ बदल जाता है इस बदलते वक्त के साथ
vaah ........nisha ji waqt ko khub samjha hai aapne
ReplyDelete'निशा' ढल नहीं रही, सूरज सी दमक रही है...अपनी कविता में, प्रबुद्धता में, चेतनता में!!
ReplyDeletebahut-bahut dhanyavad sir ......tahedil se aabhari hoon aapke anmol vachan ke liye jo mere jivan ke dharohar hain....
Deletesuperb superb
ReplyDeleteMan ko chhu jaane wale bhaav...
ReplyDelete............
कितनी बदल रही है हिन्दी!
thanks to all....
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
ReplyDelete.............जयहिन्द............
............वन्दे मातरम्..........
Bahut dino me bheet shabd suna...bahut khoob!
Deleteजी सर ....मुझे भी बड़ा अच्छा लगा ....अंगिका भाषा में दिवार को भीत कहते हैं।
Deleteजी सर ....मुझे भी बड़ा अच्छा लगा ....अंगिका भाषा में दिवार को भीत कहते हैं।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
वक्त के साथ बदलना मैंने सीखा नहीं
ऐसा नादाँ इन्सान मैंने देखा नहीं .....
वाह...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteवक्त से दोस्ती बालू की भीत
ReplyDeleteअनजानी सी राहें पगली सी प्रीत ..बढ़िया भावाभिव्यक्ति ,बालू की भीत बढ़िया प्रयोग .... कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 25 अगस्त 2012
आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html
nice presentation....
ReplyDeleteAabhar!
Mere blog pr padhare.
वक्त ही सबसे बड़ा गुरू है
ReplyDeleteसही कहा आपने
ReplyDeleteख़ूबसूरत रचना, सुन्दर भाव, बधाई.
मेरे ब्लॉग " meri kavitayen "की नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है .
क्त से सीखा भूलना मुश्किल भरे दिन ....
ReplyDeleteजीना मैंने सीख लिया साथी तेरे बिन
BEAUTIFUL LINES WITH EMOTIONS AND FEELINGS
thanks to all....
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी लगी आपकी यह प्रस्तुति... आभार।मेरे नए पोस्ट "प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।
ReplyDeleteकोमल भाव व्यक्त करती रचना..
ReplyDeleteवक्त के साथ जीना सीखना ही जिंदगी है
और इसी में सुख है...
:-)