Saturday, August 11, 2012

वक्त

वक्त के साथ बदलना मैंने सीखा  नहीं
ऐसा नादाँ इन्सान मैंने देखा नहीं .....

वक्त मुझे तुम सताओगे क्या ???????
सजा खुद को दिया मैंने तुम कर  पाओगे क्या??????


 वक्त से सीखा भूलना मुश्किल भरे दिन ....
जीना मैंने सीख लिया  साथी तेरे बिन

वक्त से दोस्ती बालू की भीत
अनजानी  सी राहें पगली सी प्रीत

वक्त के साथ मजबूत होती रही.....
निशा ढलती रही  शमा जलती रही .....

 

25 comments:

  1. @ वक्त से दोस्ती बालू की भीत
    अनजानी सी राहें पगली सी प्रीत

    - वाह!

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  2. waah bahut khoob waqt ke saathbadhiya

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  3. वक्त से दोस्ती बालू की भीत
    अनजानी सी राहें पगली सी प्रीत...... सुन्दर कल्पना
    कितना कुछ बदल जाता है इस बदलते वक्त के साथ

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  4. vaah ........nisha ji waqt ko khub samjha hai aapne

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  5. 'निशा' ढल नहीं रही, सूरज सी दमक रही है...अपनी कविता में, प्रबुद्धता में, चेतनता में!!

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    1. bahut-bahut dhanyavad sir ......tahedil se aabhari hoon aapke anmol vachan ke liye jo mere jivan ke dharohar hain....

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  6. स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत ............शुभकामनाएँ.........
    .............जयहिन्द............
    ............वन्दे मातरम्..........







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    1. Bahut dino me bheet shabd suna...bahut khoob!

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    2. जी सर ....मुझे भी बड़ा अच्छा लगा ....अंगिका भाषा में दिवार को भीत कहते हैं।

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    3. जी सर ....मुझे भी बड़ा अच्छा लगा ....अंगिका भाषा में दिवार को भीत कहते हैं।

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  7. बहुत सुंदर
    क्या कहने


    वक्त के साथ बदलना मैंने सीखा नहीं
    ऐसा नादाँ इन्सान मैंने देखा नहीं .....

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  8. वाह...
    शुभकामनायें आपको !

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  9. बहुत सुन्दर रचना

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  10. बहुत अच्छी प्रस्तुति!मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  11. वक्त से दोस्ती बालू की भीत
    अनजानी सी राहें पगली सी प्रीत ..बढ़िया भावाभिव्यक्ति ,बालू की भीत बढ़िया प्रयोग .... कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 25 अगस्त 2012
    आखिरकार सियाटिका से भी राहत मिल जाती है .घबराइये नहीं
    गृधसी नाड़ी और टांगों का दर्द (Sciatica & Leg Pain)एक सम्पूर्ण आलेख अब हिंदी में भी परिवर्धित रूप लिए .....http://veerubhai1947.blogspot.com/2012/08/blog-post_25.html

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  12. nice presentation....
    Aabhar!
    Mere blog pr padhare.

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  13. वक्त ही सबसे बड़ा गुरू है
    सही कहा आपने

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  14. ख़ूबसूरत रचना, सुन्दर भाव, बधाई.

    मेरे ब्लॉग " meri kavitayen "की नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है .

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  15. क्त से सीखा भूलना मुश्किल भरे दिन ....
    जीना मैंने सीख लिया साथी तेरे बिन

    BEAUTIFUL LINES WITH EMOTIONS AND FEELINGS

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  16. बहुत ही अच्‍छी लगी आपकी यह प्रस्‍तुति... आभार।मेरे नए पोस्ट "प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।

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  17. कोमल भाव व्यक्त करती रचना..
    वक्त के साथ जीना सीखना ही जिंदगी है
    और इसी में सुख है...
    :-)

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