ऐ मन !
न हीं ठंडी आहें भरना
भ्रम को सत्य समझने की कभी
कोशिश भी न करना
गम उसके लिए करना
जो गम हरना जानता हो
क़द्र उसकी करना
जो क़द्र करना जानता हो
साथी तो सभी चाहते हैं पर ....
संग उसी के चलना जो
सच और झूठ में
सही और गलत में
छल और विश्वास में
अंतर करना जानता हो...
पल-पल में विचार बदलनेवाले
दूसरों के इशारों पर नाचनेवाले
कभी भी धोखा दे जायेंगे
बिना किसी अपराधबोध के जी सको
बना लो ऐसा दिल का हरेक कोना
किसी संगदिल इंसान के आगे कभी
मायूस नहीं होना ....
क्या पता कब ? कहाँ ? कैसे ?
अपने फायदे के लिए
वो कर ले तुझको अपने आगे
खुद को इतना मजबूत बना कि
तेरी परछाईं भी तुझसे भागे .....
बहुत ख़ूब!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 24-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1012 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सार्थक बोध परक भावाभि -व्यक्ति .
ReplyDeleteसार्थक बोध परक भावाभि -व्यक्ति .
ReplyDeleteलिंक 21-
तेरी परछाईं भी -डॉ. निशा महाराणा
badhiya seekh!
ReplyDeletedhanyavad sir ....
Deletethis is utterly beautiful...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबिना किसी अपराधबोध के जी सको
बना लो ऐसा दिल का हरेक कोना
किसी संगदिल इंसान के आगे कभी
मायूस नहीं होना ....
क्या कहने
वाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeleteकिसी संगदिल इंसान के आगे कभी
ReplyDeleteमायूस नहीं होना ....
क्या पता कब ? कहाँ ? कैसे ?
अपने फायदे के लिए
वो कर ले तुझको अपने आगे
खुद को इतना मजबूत बना कि
तेरी परछाईं भी तुझसे भागे .
सच की धरातल पर लिखा एक सच जिसे स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है बहुत खुबसूरत दिल के बहुत करीब . बधाई कहूँ या कह दूँ आप बीती .
donon swikar hai....thanks nd aabhar ..
Deletethanks to all...
ReplyDeleteसच्चाई की धरातल पर लिखी,,,,प्रभावशाली अभिव्यक्ति,,
ReplyDeleteRECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,
बिना किसी अपराधबोध के जी सको
ReplyDeleteबना लो ऐसा दिल का हरेक कोना
किसी संगदिल इंसान के आगे कभी
मायूस नहीं होना ..
बहुत सुंदर संदेश...........
सच्चाई बयान करती रचना |बहुत भावपूर्ण
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना निशा जी....
ReplyDeleteदिल को छूती हुई....
सस्नेह
अनु
bhaut shandar abhivyakti hai :-)
ReplyDeletethanks to all...
ReplyDeletebhavpurn kavita.
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