Sunday, September 23, 2012

तेरी परछाईं भी

ऐ मन !
गम नहीं करना
न हीं ठंडी आहें भरना
भ्रम को सत्य समझने की कभी
कोशिश भी न करना
गम उसके लिए करना
जो गम हरना जानता हो
क़द्र उसकी करना
जो क़द्र करना जानता हो
साथी तो सभी चाहते हैं पर ....
संग उसी के चलना जो
सच और झूठ में
सही और गलत में
छल और विश्वास में
अंतर करना जानता हो...
पल-पल में विचार बदलनेवाले
दूसरों के इशारों पर नाचनेवाले  
कभी भी धोखा दे जायेंगे
बिना किसी अपराधबोध के जी सको
बना लो ऐसा दिल का हरेक कोना
किसी संगदिल इंसान के आगे कभी
मायूस नहीं होना ....
क्या पता कब ? कहाँ ? कैसे ?
अपने  फायदे के लिए
वो कर ले तुझको अपने आगे
खुद को इतना मजबूत बना कि
तेरी परछाईं भी तुझसे भागे .....

18 comments:

  1. बहुत ख़ूब!
    आपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 24-09-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1012 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  2. सार्थक बोध परक भावाभि -व्यक्ति .

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  3. सार्थक बोध परक भावाभि -व्यक्ति .

    लिंक 21-
    तेरी परछाईं भी -डॉ. निशा महाराणा

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  4. बहुत सुंदर रचना

    बिना किसी अपराधबोध के जी सको
    बना लो ऐसा दिल का हरेक कोना
    किसी संगदिल इंसान के आगे कभी
    मायूस नहीं होना ....

    क्या कहने

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  5. वाह ... बहुत ही बढिया।

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  6. किसी संगदिल इंसान के आगे कभी
    मायूस नहीं होना ....
    क्या पता कब ? कहाँ ? कैसे ?
    अपने फायदे के लिए
    वो कर ले तुझको अपने आगे
    खुद को इतना मजबूत बना कि
    तेरी परछाईं भी तुझसे भागे .

    सच की धरातल पर लिखा एक सच जिसे स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है बहुत खुबसूरत दिल के बहुत करीब . बधाई कहूँ या कह दूँ आप बीती .

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  7. सच्चाई की धरातल पर लिखी,,,,प्रभावशाली अभिव्यक्ति,,

    RECENT POST समय ठहर उस क्षण,है जाता,

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  8. बिना किसी अपराधबोध के जी सको
    बना लो ऐसा दिल का हरेक कोना
    किसी संगदिल इंसान के आगे कभी
    मायूस नहीं होना ..

    बहुत सुंदर संदेश...........

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  9. सच्चाई बयान करती रचना |बहुत भावपूर्ण

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  10. बहुत सुन्दर रचना निशा जी....
    दिल को छूती हुई....

    सस्नेह
    अनु

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