प्रेम लेने नहीं देने का नाम है एक कोमल मृदु एहसास और जज्बात है प्रेमी मित्र बन जाता है जब प्रेम आत्मिक हो जाता है तब ऐसे प्रेम के लिए कोई रो नहीं सकता लाख कोशिश करे जमाना ये खो नहीं सकता ........
किस शब्द को कम करियेगा , किस शब्द को विलोपित , प्यार का यही एहसास इसे अजर अमर बना देता है
bahut sundar, badhai.
ReplyDeleteजिंदगी में सच्चे मित्र कोई खोना नहीं चाहता है. -बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteprem ek gahri anubhooti hai...sundar rachna
ReplyDeleteप्रेम लेने नहीं
ReplyDeleteदेने का नाम है
एक कोमल मृदु
एहसास और जज्बात है
प्रेमी मित्र बन जाता है जब
प्रेम आत्मिक हो जाता है तब
ऐसे प्रेम के लिए कोई रो नहीं सकता
लाख कोशिश करे जमाना
ये खो नहीं सकता ........
किस शब्द को कम करियेगा , किस शब्द को विलोपित , प्यार का यही एहसास इसे अजर अमर बना देता है
prem par aapka andaj pasand aaya
ReplyDeleteउम्दा!
ReplyDeleteVERY TRUE...
ReplyDeleteलाख कोशिश करे जमाना
ReplyDeleteये खो नहीं सकता ........
sahi kaha hai ..
बहुत खूबसूरत भाव
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना ....
ReplyDeleteNisha ji bahut hi sundar abhivykati badhai ke sath abhar bhi .
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