बहुत सुन्दर प्रस्तुति! आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी! -- कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है। सादर...! बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ! सूचनार्थ! डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
था अँधेरा बहुत मैंने चिराग जला दिया .. पता नहीं कैसे घर में ....... आग लगा दिया ..... अरे रे ... ! सावधानी रखनी थी न ! :) बहुत ख़ूब ! हार्दिक मंगलकामनाएं !
खुबसूरत भाव है.
ReplyDeleteLatest post हे माँ वीणा वादिनी शारदे !
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाए...खुबसूरत...
ReplyDeleteगहन भाव ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
thanks nd aabhar shastri jee ..khabar karne ke liye shukriya ....
Deleteगहन भाव ..प्रश्न ही प्रश्न ...न जाने कब क्या कैसे हो जाता है ...जीवन एक रहस्य ही तो है ...
ReplyDeleteसुन्दर
भ्रमर ५
thanks to all.....
ReplyDeleteइसे कहते हैं ब्लोगिया उलटवासी .बहुत खूब निशा महाराणा जी .
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या कहने
जे बात मेरे चिराग को भाया और उसने घर जलाया | बहुत सुन्दर भाव | आभार |
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
था अँधेरा बहुत मैंने
चिराग जला दिया ..
पता नहीं कैसे घर में .......
आग लगा दिया .....
अरे रे ... ! सावधानी रखनी थी न !
:)
बहुत ख़ूब !
हार्दिक मंगलकामनाएं !
था अँधेरा बहुत मैंने
ReplyDeleteचिराग जला दिया ..
पता नहीं कैसे घर में .......
आग लगा दिया .
अक्सर ये हो जाता है हम हवन करते हाथ जला लेते हैं
आग चिराग ने लगे .. आपका कोई कसूर नहीं ..
ReplyDeleteशुक्रिया इस बढ़िया प्रस्तुति का आपकी टिपण्णी का .
ReplyDeleteबहुत सुंदर!!!
ReplyDeleteशुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी के लिए इस बेहतरीन रचना के लिए .
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत खूब.
ReplyDeleteनीरज'नीर'
www.kavineeraj.blogspot.com
:)
ReplyDeleteथा अँधेरा बहुत मैंने
ReplyDeleteचिराग जला दिया ..
पता नहीं कैसे घर में .......
आग लगा दिया ....bahut khub marm ko chuti huai
This comment has been removed by the author.
ReplyDeletejab pyar me dil mera jale laga
ReplyDeletelogon ki aankho me aag utr aaee.
bahut achchi parstuti :)