जिन्दगी तेरे साये में .....
क्या छोडूँ ?
क्या पास रखूँ ?
दिन-रात सुलगते,...
अरमानों से ...
क्यों न दो-दो हाथ करूँ ?
जो होना है ..वो ...
हो कर रहेगा ...(मैं भाग्यवादी नहीं कर्मवादी हूँ )
क्यों ? तुम से
फरियाद करूँ .....
साल दर साल आगे बढ़ी
कितना कुछ पीछे छूट गया .....
देखते ही देखते .....
काफ़िला आँखों से ...
ओझल हो गया .....
तुमने दिया
तुम ही ने लिया
क्या दोष था मेरा .....
समझ नहीं पाई अब तक ....
सत्य क्या है तेरा ?
दर्द के दरिया में
दिल जब घबराता है
तभी जिन्दगी तेरा ....
असली रूप नज़र आता है ......
तूने आजमाया अबतक ...
अब मैं आज्माउंगी ....
वादा है ऐ जिन्दगी ..
तेरा साथ निभाउंगी ....
क्या छोडूँ ?
क्या पास रखूँ ?
दिन-रात सुलगते,...
अरमानों से ...
क्यों न दो-दो हाथ करूँ ?
जो होना है ..वो ...
हो कर रहेगा ...(मैं भाग्यवादी नहीं कर्मवादी हूँ )
क्यों ? तुम से
फरियाद करूँ .....
साल दर साल आगे बढ़ी
कितना कुछ पीछे छूट गया .....
देखते ही देखते .....
काफ़िला आँखों से ...
ओझल हो गया .....
तुमने दिया
तुम ही ने लिया
क्या दोष था मेरा .....
समझ नहीं पाई अब तक ....
सत्य क्या है तेरा ?
दर्द के दरिया में
दिल जब घबराता है
तभी जिन्दगी तेरा ....
असली रूप नज़र आता है ......
तूने आजमाया अबतक ...
अब मैं आज्माउंगी ....
वादा है ऐ जिन्दगी ..
तेरा साथ निभाउंगी ....
wah .... bahut khub :)
ReplyDeleteतूने आजमाया अबतक ...
ReplyDeleteअब मैं आज्माउंगी ....
वादा है ऐ जिन्दगी ..
तेरा साथ निभाउंगी ....
यही आत्म विश्वास चाहिए जिंदगी को सामना करने के लिए
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बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति ...
ReplyDeleteआप भी पधारें
ये रिश्ते ...
क्या बात,
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
बहुत सुन्दर रचना | बधाई |
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
वाह ... बेहतरीन भावमय करते शब्द
ReplyDeleteदर्द के दरिया में
ReplyDeleteदिल जब घबराता है
तभी जिन्दगी तेरा ....
असली रूप नज़र आता है ......
तूने आजमाया अबतक ...
अब मैं आज्माउंगी ....
वादा है ऐ जिन्दगी ..
तेरा साथ निभाउंगी ....
आपके साहस या हौसले को प्रणाम ..
दर्द के दरिया में
ReplyDeleteदिल जब घबराता है
तभी जिन्दगी तेरा ....
असली रूप नज़र आता है ......
बहुत सुन्दर रचना ................बधाई |
दर्द के दरिया में
ReplyDeleteदिल जब घबराता है
तभी जिन्दगी तेरा ....
असली रूप नज़र आता है ......
सुंदर कविता जीवन का अर्थ तलाशती. बधाई निशा जी.
ज़िंदगी का असली रूप क्या है कौन जाने, सुख दुःख एक साथ जीवन भर... बहुत सुन्दर रचना, शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteज़वाब नहीं हौसले का इस रचना के पाठन और वाचन से कई का अवसाद दूर हो सकता है .ज़िन्दगी और परवाज़ ज़िन्दगी की हौसले से भरी जाती है पंखों से नहीं यही सन्देश है रचना का दृष्टा भाव से
ReplyDeleteजीवन को लेना भी बड़ी बात है .धुंध छनती है आगे बढ़ने का रास्ता साफ़ होता है .
dhanyavad virendra jee...aapke is motivational tippani ke liye ....
Deletekya bat hai jeevan me isi housale ki jaroorat hai...
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