Wednesday, June 19, 2013

बन जाते हैं वही मन -मीत ...

खुशियाँ तुम को मिले हमेशा 
मेरी हार हो तेरी जीत 
पल-पल तुम्हें   दुआएँ देता 
ऐसे हैं अलबेले गीत .....

मन हँसता पर दिल रोता है 
पीर बन जाती है गीत 
जिसे परख नहीं हमारी 
बन गए वही हमारे मीत .....

जीवन की ये रीत पुरानी 
कुहूके कोयल ...  नाचे मोर 
मीत बिना सब सूना होता 
चाँद को ढूंढे व्याकुल चकोर ....

विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
बन जाते है विरही गीत
 जिसे खबर नहीं हो पाती 
बन जाते हैं वही मन -मीत ...

19 comments:

  1. जिसे खबर नहीं हो पाती
    बन जाते हैं वही मन -मीत

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.

    चकोर तो नाहक अपनी मूर्खता से छला गया है.

    ReplyDelete
  2. मन हँसता पर दिल रोता है
    पीर बन जाती है गीत
    जिसे परख नहीं हमारी
    बन गए वही हमारे मीत .....

    बहुत सुंदर , जब विरह की बेला होती है तो विरही गीत बन ही जाते है, शुभकामनाये

    ReplyDelete
  3. विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
    बन जाते है विरही गीत
    जिसे खबर नहीं हो पाती
    बन जाते हैं वही मन -मीत .--गहन भाव लिए सुन्दर रचना !
    latest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !

    ReplyDelete
  4. मन हँसता पर दिल रोता है
    पीर बन जाती है गीत
    जिसे परख नहीं हमारी
    बन गए वही हमारे मीत ..

    वाह बहुत ही सुन्दर गीत

    ReplyDelete
  5. बहुत ही भावमय रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  6. मेरी हार हो तेरी जीत
    पल-पल तुम्हें दुआएँ देता
    ऐसे हैं अलबेले गीत .....

    जो प्यार में हार गया बस वहीँ यार को जीत गया


    बहुत खूब

    पोस्ट !
    वो नौ दिन और अखियाँ चार
    हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (21-06-2013) के "उसकी बात वह ही जाने" (शुक्रवारीय चर्चा मंचःअंक-1282) पर भी होगी!
    --
    रविकर जी अभी व्यस्त हैं, इसलिए शुक्रवार की चर्चा मैंने ही लगाई है।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  8. बढ़िया भावगीत ,ओढ़े फायर जगत की रीत .

    ReplyDelete
  9. बन जाते हैं वही मन -मीत ...
    खुशियाँ तुम को मिले हमेशा
    मेरी हार हो तेरी जीत
    पल-पल तुम्हें दुआएँ देता
    ऐसे हैं अलबेले गीत .....
    कर्मों का ये खेला है .सृष्टि चक्र का फेरा है .वर्ल्ड ड्रामा वील में यही लिखा था -

    बन जाते हैं वही मन -मीत ...
    खुशियाँ तुम को मिले हमेशा
    मेरी हार हो तेरी जीत
    पल-पल तुम्हें दुआएँ देता
    ऐसे हैं अलबेले गीत .....


    विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
    बन जाते है विरही गीत
    जिसे खबर नहीं हो पाती
    बन जाते हैं वही मन -मीत ...

    ReplyDelete
  10. विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
    बन जाते है विरही गीत
    जिसे खबर नहीं हो पाती
    बन जाते हैं वही मन -मीत ...

    khubasurat bhawpurna

    ReplyDelete
  11. सुन्दरम मनोहरं .शुक्रिया आपका मेहरबानी आपकी टिप्पणियों के लिए .

    ReplyDelete

  12. बड़े सशक्त बिम्ब संजोये हैं भाव और अर्थ की शानदार लयकारी समस्वरता .क्या कहने हैं इस भाव अभिव्यक्ति के . .ॐ शान्ति .

    आपकी टिप्पणियाँ हमारी शान हैं शुक्रिया .बेहतरीन प्रस्तुतियों के लिए मुबारक बाद और बधाई क्या बढाया .ॐ शान्ति .

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ , आप के ब्लॉग पर आज पहली बार आया हु बहुत ही अच्छा लगा

    ReplyDelete
  14. बहुत सुन्दर प्रेम कविता ..
    दिल में बसती हुई , दिल को छूती हुई..
    दिल से बधाई स्वीकार करे.

    विजय कुमार
    मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

    मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

    ReplyDelete
  15. धन्यवाद विजय जी.…

    ReplyDelete