खुशियाँ तुम को मिले हमेशा
पल-पल तुम्हें दुआएँ देता
ऐसे हैं अलबेले गीत .....
मन हँसता पर दिल रोता है
पीर बन जाती है गीत
जिसे परख नहीं हमारी
बन गए वही हमारे मीत .....
जीवन की ये रीत पुरानी
कुहूके कोयल ... नाचे मोर
मीत बिना सब सूना होता
चाँद को ढूंढे व्याकुल चकोर ....
विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
बन जाते है विरही गीत
जिसे खबर नहीं हो पाती
बन जाते हैं वही मन -मीत ...
जिसे खबर नहीं हो पाती
ReplyDeleteबन जाते हैं वही मन -मीत
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ.
चकोर तो नाहक अपनी मूर्खता से छला गया है.
मन हँसता पर दिल रोता है
ReplyDeleteपीर बन जाती है गीत
जिसे परख नहीं हमारी
बन गए वही हमारे मीत .....
बहुत सुंदर , जब विरह की बेला होती है तो विरही गीत बन ही जाते है, शुभकामनाये
विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
ReplyDeleteबन जाते है विरही गीत
जिसे खबर नहीं हो पाती
बन जाते हैं वही मन -मीत .--गहन भाव लिए सुन्दर रचना !
latest post परिणय की ४0 वीं वर्षगाँठ !
मन हँसता पर दिल रोता है
ReplyDeleteपीर बन जाती है गीत
जिसे परख नहीं हमारी
बन गए वही हमारे मीत ..
वाह बहुत ही सुन्दर गीत
बहुत ही भावमय रचना, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
मेरी हार हो तेरी जीत
ReplyDeleteपल-पल तुम्हें दुआएँ देता
ऐसे हैं अलबेले गीत .....
जो प्यार में हार गया बस वहीँ यार को जीत गया
बहुत खूब
पोस्ट !
वो नौ दिन और अखियाँ चार
हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (21-06-2013) के "उसकी बात वह ही जाने" (शुक्रवारीय चर्चा मंचःअंक-1282) पर भी होगी!
--
रविकर जी अभी व्यस्त हैं, इसलिए शुक्रवार की चर्चा मैंने ही लगाई है।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
dhanyavad shastri jee ....
Deleteबढ़िया भावगीत ,ओढ़े फायर जगत की रीत .
ReplyDeleteबन जाते हैं वही मन -मीत ...
ReplyDeleteखुशियाँ तुम को मिले हमेशा
मेरी हार हो तेरी जीत
पल-पल तुम्हें दुआएँ देता
ऐसे हैं अलबेले गीत .....
कर्मों का ये खेला है .सृष्टि चक्र का फेरा है .वर्ल्ड ड्रामा वील में यही लिखा था -
बन जाते हैं वही मन -मीत ...
खुशियाँ तुम को मिले हमेशा
मेरी हार हो तेरी जीत
पल-पल तुम्हें दुआएँ देता
ऐसे हैं अलबेले गीत .....
विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
बन जाते है विरही गीत
जिसे खबर नहीं हो पाती
बन जाते हैं वही मन -मीत ...
विरह-व्यथा शब्दों में ढलकर ..
ReplyDeleteबन जाते है विरही गीत
जिसे खबर नहीं हो पाती
बन जाते हैं वही मन -मीत ...
khubasurat bhawpurna
सुन्दरम मनोहरं .शुक्रिया आपका मेहरबानी आपकी टिप्पणियों के लिए .
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ReplyDeleteबड़े सशक्त बिम्ब संजोये हैं भाव और अर्थ की शानदार लयकारी समस्वरता .क्या कहने हैं इस भाव अभिव्यक्ति के . .ॐ शान्ति .
आपकी टिप्पणियाँ हमारी शान हैं शुक्रिया .बेहतरीन प्रस्तुतियों के लिए मुबारक बाद और बधाई क्या बढाया .ॐ शान्ति .
behud bhavpurn rachna..
ReplyDeleteTHANKS TO ALL....
ReplyDeleteutam-**
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पंक्तियाँ , आप के ब्लॉग पर आज पहली बार आया हु बहुत ही अच्छा लगा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेम कविता ..
ReplyDeleteदिल में बसती हुई , दिल को छूती हुई..
दिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com
धन्यवाद विजय जी.…
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