कहा चाँद ने रजनी से
तुम्हारी खातिर मैं .…
चाँदनी तो क्या,…
आसमान भी छोड़ दूँगा
चैन मिले तुम्हें हमेशा इसलिए
मैं अकेला ही जी लूँगा
हर गम हँसते-हँसते पी लूँगा
मैं अकेला ही जी लूँगा
हर गम हँसते-हँसते पी लूँगा
प्यार किया है तो निभाना आता है,….
तुम्हारे लिए मिट जाना आता है,…
सुनो मेरी प्राण-प्रिया
तेरे बिन धड़कता नहीं मोरा जीया,…….
तुम मेरी जान हो ,…इसलिए विरह में तेरे
अपनी जान नहीं दूंगा
इस बात से अनजान हो
करूँगा नहीं कभी शिकवा ,…
खुद से खुद को छिपा कर
दुनियाँ को बता दूँगा ,…….
प्यार होता है क्या
बिना बोले जता दूँगा ,…….
रात के होंने से ही तो चाँद है ...
ReplyDeleteसही बात .....धन्यवाद नासवा जी ....
ReplyDeleteकोमल भाव लिए सुन्दर भावपूर्ण रचना...
ReplyDelete:-)
बहुत खूब -
ReplyDeleteमरना तेरी गली मैं ,जीना तेरी गली में ,
मरने के बाद होगा चर्चा तेरी गली में।
प्रेम न बाड़ी उपजै। ....
सुंदर भाव, शुभकामनाये
ReplyDeleteचाँद और रात का साथ कभी नहीं छूटने वाला...
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश जी .....
ReplyDeleteतुम मेरी जान हो ,…इसलिए विरह में तेरे
ReplyDeleteअपनी जान नहीं दूंगा
जानदार और शानदार रचना
एक नजर इधर भी डालिए
बचपन
रात और चाँद चाहे तो भी अलग न हो पायेगें
ReplyDeleteखुद से खुद को छिपा कर
ReplyDeleteदुनियाँ को बता दूँगा ,…….
प्यार होता है क्या
बिना बोले जता दूँगा ,
वाह क्या बात है !!!!
खुबसूरत भावों से सजी सुन्दर अभिव्यक्ति :)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteनवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
जहां समर्पण वहां प्रेम। बढ़िया रचना।
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना
ReplyDeleteचांद और रजनी क़े प्यार की दासता ....
बहुत खूब ,बेहद सुन्दर प्रस्तुति।
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