Sunday, September 29, 2013

कहा चाँद ने रजनी से ,,,,,,

कहा चाँद ने रजनी से 
तुम्हारी खातिर मैं  .…
चाँदनी तो क्या,…
आसमान भी  छोड़ दूँगा 
चैन मिले तुम्हें हमेशा इसलिए
 मैं अकेला ही जी लूँगा
 हर गम हँसते-हँसते पी लूँगा 
प्यार किया है  तो निभाना आता है,…. 
तुम्हारे  लिए मिट जाना आता है,…
सुनो मेरी प्राण-प्रिया 
तेरे  बिन धड़कता नहीं मोरा  जीया,……. 
 तुम मेरी जान हो ,…इसलिए विरह में तेरे 
अपनी जान नहीं दूंगा 
 इस बात से अनजान हो 
 करूँगा नहीं कभी  शिकवा ,…
खुद से खुद को छिपा कर 
दुनियाँ को बता दूँगा ,……. 
प्यार होता है क्या 
बिना बोले जता दूँगा ,……. 






15 comments:

  1. रात के होंने से ही तो चाँद है ...

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  2. सही बात .....धन्यवाद नासवा जी ....

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  3. कोमल भाव लिए सुन्दर भावपूर्ण रचना...
    :-)

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  4. बहुत खूब -

    मरना तेरी गली मैं ,जीना तेरी गली में ,

    मरने के बाद होगा चर्चा तेरी गली में।

    प्रेम न बाड़ी उपजै। ....

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  5. सुंदर भाव, शुभकामनाये

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  6. चाँद और रात का साथ कभी नहीं छूटने वाला...

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  7. धन्यवाद राजेश जी .....

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  8. तुम मेरी जान हो ,…इसलिए विरह में तेरे
    अपनी जान नहीं दूंगा
    जानदार और शानदार रचना
    एक नजर इधर भी डालिए
    बचपन

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  9. रात और चाँद चाहे तो भी अलग न हो पायेगें

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  10. खुद से खुद को छिपा कर
    दुनियाँ को बता दूँगा ,…….
    प्यार होता है क्या
    बिना बोले जता दूँगा ,

    वाह क्या बात है !!!!

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  11. खुबसूरत भावों से सजी सुन्दर अभिव्यक्ति :)

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  12. बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
    नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
    नई पोस्ट साधू या शैतान

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  13. जहां समर्पण वहां प्रेम। बढ़िया रचना।

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  14. बहुत खुबसूरत रचना
    चांद और रजनी क़े प्यार की दासता ....

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  15. बहुत खूब ,बेहद सुन्दर प्रस्तुति।

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