एक समय ऐसा था जब हमारे दिलों में
माँ-बाप ,भाई-बहन ,सगे संबंधियों के साथ
लंगोटिया यार रहते थे----
एक समय ऐसा भी आया
जब हमारे दिलों में किरायेदार रहने लगे
जो समय-समय पर मनवांछित किराया चुकाते हैं
मौका मिलने पर नए बसेरे की खोज कर
फुर्र से उड़ जाते हैं(संबंधों का विकृत रूप )
भले हीं उनकी याद में हमारा दिल
फूट-फूट के रोता है पर
उन किरायेदार पर उसका असर
भला कहाँ हो पता है ?
वो तो नए सपने ,नई महत्वाकांक्षा के साथ
एक बार फिर से नया बसेरा बसाता है
और जिन्दगी भर बसेरा बसाने की
कोशिश में हीं लगा रह जाता है
ऐसे लोगों का बसेरा क्या ? कभी बस पाता है ? (दिग्भर्मित रहते हैं जिन्दगी भर )
ऐसे में क्या करें ? किसे दोष दें ?
मकान को घर बनानेवाली माँ का - ?(माँ प्रथम शिक्षक कहलाती है )
परीक्षा लेनेवाले परीक्षक का - ? ( प्रणाली में उपस्थित सारे लोग एवम परिस्थितियाँ )
या फिर देश के भावी कर्णधार को तैयार करनेवाले शिक्षक का - ?
(शिक्षक विद्यार्थियों की दूसरी माँ कहलाते हैं और बच्चे दूसरी माँओं का कहना ज्यादा मानते हैं )
जो भावी कर्णधार को संवेदनशील इंसान बनाने के बजाय ----
राक्षसी प्रवृति वाले लोभी इंसान बना देते हैं और-----
समय आने पर --
अपनी आवशयकताओं की पूर्ति के लिए उनके आगे गिडगिडाते हैं
सोचिये -------
राष्ट्र का निर्माण करनेवाली माएँ
अपनी आवशयकता की पूर्ति के लिए गिडगिडाएगी ---तो ?
राष्ट्र की आत्मा भला चैन से कैसे रह पाएगी
इसीलिए … हे माएँ ( हे शिक्षक ) ----
अभी भी समय है
चाणक्य बनकर चन्द्रगुप्त को पहचानिए
शिक्षक का चोला उतारकर
एक बार फिर से गुरु जी बन जाइये
अपने विद्यार्थियों को डॉक्टर ,इंजीनियर , नेता और शिक्षक
बनाने के स्थान पर ( पद के मद में चूर हो जाते हैं लोग )
संवेदनाओं से भरपूर इंसान बनाइये
तभी राष्ट्र की माँ -बहन और बेटी भी
सुरक्षित हो अपनी भूमिका निभाएगी और --
राष्ट्र की आत्मा भी चैन से रह पायेगी
आप सभी को शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
डॉक्टर ,इंजीनियर , नेता और शिक्षक
ReplyDeleteबनाने के बजाय
बजाय के स्थान पर भी भी चलेगा :)
thanks ..vani jee aapke anmol sujhaw ke liye .....
ReplyDeleteवर्तमान में शिक्षा का क्षेत्र चैलेंज बनकर उभर रहा है और इसे चैलेंज मान ही अपना कार्य करना है। दूसरी मां बना अध्यापक सच्चे मायने में गुरू बने और चाणक्य बन चंद्रगुप्त को पहचाने भी। सुंदर और सही कविता बाजारीकरण पर भी कठोर आघात करती है।
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ReplyDeleteIts a clarion call but in the present situation there are few takers .
ReplyDeleteWish you a very Happy Teacher's Day .
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क्या बात! वाह!
ReplyDeleteशिक्षक दिवस की शुभकामनायें
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ReplyDeleteबहुत सुंदर.
ReplyDeletethanks nd aabhar darshan jee ....
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति..
ReplyDelete:-)
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
ReplyDeleteथोड़ी विलंब से आपको शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteजब हमारे दिलों में किरायेदार रहने लगे.... बहुत खूब
राष्ट्र की आत्मा भी चैन से रह पायेगी
दुआ करूंगी कि आपकी पुकार पर कुछ तो सुधार हो ....
thanks to all ...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है। शुक्रिया आपकी टिपपणी का।
ReplyDeleteऐसे मकान में रहके चले जाने का क्या फायदा जहां से होस्ट ही नदारद हो न मूल्य न ईश वन्दना फिर जीवन ऐसा ही होगा।
बहुत ही प्रभावशाली रचना.....
ReplyDeleteसमय की मांग है की गुरु शिष्य का सही चरित्र निर्माण करे ..
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ReplyDeleteबहुत ही प्रभावशाली रचना.....
ReplyDeleteसमय की मांग है की गुरु शिष्य का सही चरित्र निर्माण करे..
बहुत ही प्रभावशाली रचना.....
ReplyDeleteसमय की मांग है की गुरु शिष्य का सही चरित्र निर्माण करे..
आज जब गुरु और शिष्य के रिश्ते कलंकित हो रहे हैं, ऐसे विचार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने की जरूरत है.
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