वाह . .
वाह बहुत खूब.
कहीं पढ़ी हुई पंक्तियाँ याद आ गईं।सावन मास की धूप सा गोरी तेरा रूप सलोना कर जाता है रोशन मेरे मन का कोना कोना
वाह वाह बहुत खूब.
अच्छी प्रस्तुति।...शरदपूर्णिमा आ गयी, लेकर यह सन्देश।तन-मन, आँगन-गेह का, करो स्वच्छ परिवेश।।...सुप्रभात..। आपका दिन मंगलमय हो।
वाह !वाह्!!नई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)latest post महिषासुर बध (भाग २ )
नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (20-10-2013) के चर्चामंच - 1404 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
धन्यवाद अरुण जी ....
गोरी तेरा रूप जैसे सुबह-सुबह की धूपतुझसे उपमा ही तेरी ,तेरा रूप अनूप .सुन्दर अभिव्यक्ति .
बहुत सुन्दर.
वाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूबहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
सुंदर !
सुन्दर !!
waah ADBHUT
बहुत सुन्दर शब्द ... दिल तो फिसलना ही है ...
बहुत सुन्दर,सुन्दर अभिव्यक्ति.
बहुत सुन्दर..
वाह . .
ReplyDeleteवाह बहुत खूब.
ReplyDeleteकहीं पढ़ी हुई पंक्तियाँ याद आ गईं।
ReplyDeleteसावन मास की धूप सा गोरी तेरा रूप सलोना
कर जाता है रोशन मेरे मन का कोना कोना
वाह वाह
ReplyDeleteबहुत खूब.
अच्छी प्रस्तुति।...
ReplyDeleteशरदपूर्णिमा आ गयी, लेकर यह सन्देश।
तन-मन, आँगन-गेह का, करो स्वच्छ परिवेश।।
...सुप्रभात..। आपका दिन मंगलमय हो।
वाह !वाह्!!
ReplyDeleteनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
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नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (20-10-2013) के चर्चामंच - 1404 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
ReplyDeleteधन्यवाद अरुण जी ....
Deleteगोरी तेरा रूप जैसे
ReplyDeleteसुबह-सुबह की धूप
तुझसे उपमा ही तेरी ,
तेरा रूप अनूप .
सुन्दर अभिव्यक्ति .
बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteवाह !! एक अलग अंदाज़ कि रचना ......बहुत खूब
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
सुंदर !
ReplyDeleteसुन्दर !!
ReplyDeletewaah ADBHUT
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्द ... दिल तो फिसलना ही है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर,सुन्दर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
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