एक बार फिर किसी ने
भरते जख्मों को झिंझोड़ा है
चुनौतियों का समन्दर है
सम्बल बहुत थोड़ा है.…पर…
उन्हें मालूम नहीं
लोहे से बनीं नहीं मैं..... जो.…
टूट कर बिखर जाऊँगी
मोम सी प्रकृति है मेरी,,, मैं.…
पिघलकर फिर जम जाऊँगी
माँ-बहन-बेटी -पत्नी या प्रेमिका हीं नहीं मैं.....
सृष्टि का आधार हूँ
आहों के बीच पली मैं
खुशियों की किलकारी हूँ
चुनौती देनेवाले हर शख्स की आभारी हूँ
जीवन को जीवन देनेवाली मैं
एक संवेदनशील नारी हूँ.……
भरते जख्मों को झिंझोड़ा है
चुनौतियों का समन्दर है
सम्बल बहुत थोड़ा है.…पर…
उन्हें मालूम नहीं
लोहे से बनीं नहीं मैं..... जो.…
टूट कर बिखर जाऊँगी
मोम सी प्रकृति है मेरी,,, मैं.…
पिघलकर फिर जम जाऊँगी
माँ-बहन-बेटी -पत्नी या प्रेमिका हीं नहीं मैं.....
सृष्टि का आधार हूँ
आहों के बीच पली मैं
खुशियों की किलकारी हूँ
चुनौती देनेवाले हर शख्स की आभारी हूँ
जीवन को जीवन देनेवाली मैं
एक संवेदनशील नारी हूँ.……
सटीक और मुखर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteउन्हें मालूम हो न हो, हमें खूब मालूम है…मोम जब अपनी पर आता है, फौलाद हो जाता !!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अंदाज़ ....
मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद सर ......
Deleteसुंदर ।
ReplyDeleteचुनौतियों का समन्दर है
ReplyDeleteसम्बल बहुत थोड़ा है .. बहुत सुन्दर
लोहे से बनीं नहीं मैं..... जो.…
टूट कर बिखर जाऊँगी
मोम सी प्रकृति है मेरी,,, मैं.…
पिघलकर फिर जम जाऊँगी.. क्या कहने बहुत उम्दा ...
धन्यवाद और आभार ......
ReplyDeleteधन्यवाद और आभार ......
ReplyDeleteनारी के अंतर्मन की अथाह गहराई और उसके हिमालय से अडिग आत्मविश्वास को इतनी सशक्त एवं सार्थक अभिव्यक्ति देने के लिये बधाई निशा जी ! एक अत्यंत उत्कृष्ट रचना !
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना व शानदार लेखन , आ. निशा जी धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
~ ज़िन्दगी मेरे साथ - बोलो बिंदास ! ~ ( एक ऐसा ब्लॉग -जो जिंदगी से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताता है )
बहुत सुन्दर और प्रभावी रचना...
ReplyDeleteSRUSHTI KA AADHAR HOON , AAHON KE BEECH PALI KHUSHIYON KI KILKARI HOON., WAH.
ReplyDeleteधन्यवाद आशा जी ......
ReplyDeletethanks to all .....
ReplyDeleteनारी के मन के भावों को बहुत गहराई से उकेरा...
ReplyDeleteBahut khoob. .....
ReplyDeleteक्या खूब कहा आपने ... नारी निरीह नहीं, सृष्टि का आधार है. इस सुन्दर लेख के लिए बधाई.
ReplyDelete