दुर्गम पथ के कठिन पलों में साथ न होगा कोय
सोच समझ पथ चुनो मुसाफिर तृष्णा का अंत न होय।
कृत्रिमता से दूर होकर चलें प्रकृति की ओर
जो अपना खुद का हुआ नहीं वो औरों का क्या होय।
विषाद में भी हर्ष है जीवन एक संघर्ष है
संघर्षों से लड़ना है हर पल आगे बढ़ना है।
दिल के रिश्ते अनजाने ही जुड़ जाते हैं
खिलना हो फूलों को तो वीरानों में भी खिल जाते हैं।
जीवन ख़ुशी और ग़मों का संगम है
परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
दुविधाग्रस्त होना कमजोरी की निशानी है
दो किनारों के बीच बहे तो नदी वरना … बहता हुआ पानी है।
अतीत तूँ जा मैं खुश हूँ अपने वर्तमान के साथ
तेरी मेहरबानियों को मैं भूल चुकी हूँ
भविष्य की कल्पना में मैं डूब चुकी हूँ।
दुःख और दर्द जिंदगी का हिस्सा है
सृजन के पीड़ा का अनोखा ये हिस्सा है।
वर्तमान , अतीत और भविष्य जब आपस में टकराता है
दिल खिलता पर यादें रोती है समय सहम तब जाता है।
उड़ो जी भर खग पर अपने घोंसले को मत छोड़ना
बात भले छोटी हो पर किसी के भरोसे को मत तोडना।
मान भले मत दो पर अपमान नहीं चाहिए
ज्ञान दे दो मगर एहसान नहीं चाहिए।
राह बदलते हीं राहगीर बदल जाते हैं
उम्र के हर पड़ाव पे जैसे ख़्वाब बदल जाते है। .
जिंदगी की इन छोटी-छोटी बातों में बड़ी से बड़ी सच्चाइयाँ छिपी हैं.… महसूस करके देखिये ....
सोच समझ पथ चुनो मुसाफिर तृष्णा का अंत न होय।
कृत्रिमता से दूर होकर चलें प्रकृति की ओर
जो अपना खुद का हुआ नहीं वो औरों का क्या होय।
विषाद में भी हर्ष है जीवन एक संघर्ष है
संघर्षों से लड़ना है हर पल आगे बढ़ना है।
दिल के रिश्ते अनजाने ही जुड़ जाते हैं
खिलना हो फूलों को तो वीरानों में भी खिल जाते हैं।
जीवन ख़ुशी और ग़मों का संगम है
परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
दुविधाग्रस्त होना कमजोरी की निशानी है
दो किनारों के बीच बहे तो नदी वरना … बहता हुआ पानी है।
अतीत तूँ जा मैं खुश हूँ अपने वर्तमान के साथ
तेरी मेहरबानियों को मैं भूल चुकी हूँ
भविष्य की कल्पना में मैं डूब चुकी हूँ।
दुःख और दर्द जिंदगी का हिस्सा है
सृजन के पीड़ा का अनोखा ये हिस्सा है।
वर्तमान , अतीत और भविष्य जब आपस में टकराता है
दिल खिलता पर यादें रोती है समय सहम तब जाता है।
उड़ो जी भर खग पर अपने घोंसले को मत छोड़ना
बात भले छोटी हो पर किसी के भरोसे को मत तोडना।
मान भले मत दो पर अपमान नहीं चाहिए
ज्ञान दे दो मगर एहसान नहीं चाहिए।
राह बदलते हीं राहगीर बदल जाते हैं
उम्र के हर पड़ाव पे जैसे ख़्वाब बदल जाते है। .
जिंदगी की इन छोटी-छोटी बातों में बड़ी से बड़ी सच्चाइयाँ छिपी हैं.… महसूस करके देखिये ....
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, जीना सब को नहीं आता - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ....
DeleteBahut khub mausi ji......
ReplyDeleteराह बदलते ही राहगीर बदल जाते हैं ...
फिर भी ना जाने क्यों ?
उनसे ही वादे .....
हज़ार कर आते हैं .
वादें कर जाते हैं और यादें छोड़ जाते हैं ......jiwan ka sach jo bahut kadwa hota hai ...
Deleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-06-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2017 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
बहुत बहुत धन्यवाद ....
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteदुःख और दर्द जिंदगी का हिस्सा है
ReplyDeleteसृजन के पीड़ा का अनोखा ये हिस्सा है।
सच कहा है निशा जी.
बहुत खूब भावनाओं का सकारात्मक अन्वेषण .बधाई .
ReplyDeleteबहुत खूब भावनाओं का सकारात्मक अन्वेषण .बधाई .
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