Saturday, August 8, 2015

झूमी हरियाली

जो अपनों का नहीं हुआ 
वो गैरों का क्या होगा 


जो खुद भूखा है 
वो औरों को क्या देगा -----

चेहरे पे मुस्कान लिए 
कलियाँ खिलखिलाई 
बदली संग बागों में 
झूमी हरियाली -----

4 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (09-08-2015) को "भारत है गाँवों का देश" (चर्चा अंक-2062) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  2. वाह क्या बात है

    ReplyDelete
  3. बहुत सुंदर निशा जी.

    ReplyDelete