सहमा-सहमा रहता था वो तन्हा-तन्हा रहता था वो मुझसे कुछ-कुछ कहता था वो रात अमावस की हो या निशा वो चाँद सितारों वाली स्वर्ण -रश्मियाँ करती थी अनवरत उसकी रखवाली मौसम अब खुशगवार हो गया खण्डहर वो आबाद हो गया ----
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.09.2015) को "सिर्फ कथनी ही नही, करनी भी "(चर्चा अंक-2095) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
Badhai...khandhar ki kismat jaag uthi!
ReplyDeletedhanyavad sir .....
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.09.2015) को "सिर्फ कथनी ही नही, करनी भी "(चर्चा अंक-2095) पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteधन्यवाद राजेंद्र जी .
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, परमवीरों को समर्पित १० सितंबर - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeletedhanyavad .....
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteखंडहर आबाद हो गया ,अच्छा हुआ !
ReplyDeleteमौसम के बदलाव से क्या कुछ हो जाता है ...
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