सांध्यकालीन निशा ने
अपनी धुन में मस्त
निर्झरणी से पूछा ---- लोग आते हैं
डुबकी लगाते हैं और
चले जाते हैं ---
उनका ये कृत्य
तुम्हारे दिल को नहीं दुखाता ?
होंठों पे मुस्कान लिए बोली निर्झरणी ---
जीवन में ख़ुशी औ गम
आने-जाने वालों से ही मिलता है
आवाजाही से हीं उनके
मेरा तट भी संवरता है
सच पूछो तो
दोस्ती और रिश्तेदारी
इन्हीं संबंधों का है नाम
मगर ---
नहीं सोचते लोग कि
गलत कृत्यों का उनके
क्या होगा अंजाम !
जब कोई अपनी हद से परे जाकर
मेरे दिल को दुखाता है
तब --मैं भी दिल पर पत्थर रख
दिमाग को समझा लेती हूँ
और ऐसे इंसान को
बेहिचक डुबो देती हूँ --
सुन निर्झरणी की बातें
निशा का दिल भर आया ----
जीवन के गूढ़ तत्वों का रहस्य
प्रकृति ने उसे समझाया…
Vaah Nirjharni guru...!
ReplyDeleteधन्यवाद सर ...
Deleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 02 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteधन्यवाद ...यशोदा जी ..
Deleteवाह - गहन चिंतन
ReplyDeleteधन्यवाद राजेंद्र जी ..
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना.......
ReplyDeletehttp://savanxxx.blogspot.in