अनिश्चित सफर के इस जीवन में
कुछ अनकही रह जाती है
अपनों की अपनी सी बातें
रह-रह कर तड़पाती है ----
चले गए जो पूरा कर
अपने सारे काम
पहुँचा देना प्रभू--- उन तक ---
मेरे प्यार का पैगाम
जिनके दिए संस्कारों से
पथ अपना आलोकित करती हूँ
यादों को उनके संग लिए
हर पल आगे बढ़ती हूँ ---
मिलना बिछुड़ना
जन्म - मृत्यु
जीवन की है रीत
करती हूँ तहेदिल से बाबुल
तुम्हें श्रद्धा -सुमन अर्पित---
सर्वपितृ अमावस पर माँ और बाबूजी को समर्पित हैं मेरे दिल के ये उदगार।
कुछ अनकही रह जाती है
अपनों की अपनी सी बातें
रह-रह कर तड़पाती है ----
चले गए जो पूरा कर
अपने सारे काम
पहुँचा देना प्रभू--- उन तक ---
मेरे प्यार का पैगाम
जिनके दिए संस्कारों से
पथ अपना आलोकित करती हूँ
यादों को उनके संग लिए
हर पल आगे बढ़ती हूँ ---
मिलना बिछुड़ना
जन्म - मृत्यु
जीवन की है रीत
करती हूँ तहेदिल से बाबुल
तुम्हें श्रद्धा -सुमन अर्पित---
सर्वपितृ अमावस पर माँ और बाबूजी को समर्पित हैं मेरे दिल के ये उदगार।
Mata pita ko ek bhav samarpan...
ReplyDeleteसार्थक भाव , सादर नमन
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, अनोखी सज़ा - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeletedhanyavad ..
Deleteबहुत भावपूर्ण श्रद्धांजलि...
ReplyDeleteसादर श्रद्धांजलि
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