भूखों से आशा
झूठों से दिलासा
बहरों पे भरोसा
कभी नहीं--- कभी नहीं---कभी नहीं।
दुर्जनों से दोस्ती
मनचलों से प्रीत
गलत से समझौता
कभी नहीं ---कभी नहीं ---कभी नहीं।
खुद पर अविश्वास
सच्चों पे शक
गैरों पे हक़
कभी नहीं ---कभी नहीं --कभी नहीं।
सौदागर से स्नेह
शिकारी से यारी
गुरु से होशियारी
कभी नहीं ---कभी नहीं ---कभी नहीं।
अतीत से आसक्ति
वर्तमान की उपेक्षा
भविष्य से भय
कभी नहीं ---कभी नहीं ---कभी नहीं।
पर होता है न ?
ब्लॉगर साथियों --कुछ जरुरी कार्यों की वजह से अभी ब्लॉग जगत
से दूर हो गई हूँ --पर जल्द ही लौटूंगी। धन्यवाद।
झूठों से दिलासा
बहरों पे भरोसा
कभी नहीं--- कभी नहीं---कभी नहीं।
दुर्जनों से दोस्ती
मनचलों से प्रीत
गलत से समझौता
कभी नहीं ---कभी नहीं ---कभी नहीं।
खुद पर अविश्वास
सच्चों पे शक
गैरों पे हक़
कभी नहीं ---कभी नहीं --कभी नहीं।
सौदागर से स्नेह
शिकारी से यारी
गुरु से होशियारी
कभी नहीं ---कभी नहीं ---कभी नहीं।
अतीत से आसक्ति
वर्तमान की उपेक्षा
भविष्य से भय
कभी नहीं ---कभी नहीं ---कभी नहीं।
पर होता है न ?
ब्लॉगर साथियों --कुछ जरुरी कार्यों की वजह से अभी ब्लॉग जगत
से दूर हो गई हूँ --पर जल्द ही लौटूंगी। धन्यवाद।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (22-02-2016) को "जिन खोजा तीन पाइया" (चर्चा अंक-2260) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी .
Deleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, " 'नीरजा' - एक वास्तविक नायिका की काल्पनिक लघु कथा " , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteधन्यवाद .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुन्दर शब्द रचना
ReplyDeleteइन्तजार रहेगा
http://savanxxx.blogspot.in
मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई।
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