बिलकुल सही बात कही आपने विभा जी .....ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद .. बहुत दिनों के बाद बिहारी कमेंट्स मिला पढने को बहुत अच्छा लगा ...आते रहिये अपनापन लगा ....आप पटना की हैं ..मै भागलपुर से हूँ ...
धन्यवाद सिंह साहब ..बहुत अच्छी और सटीक पंक्ति ..लेकिन कभी-कभी चाँद का दीदार ही काफी होता है ..दिल की तसल्ली के लिए .....विभा जी का कमेंट्स काफी है समझने के लिए ...
मुझे लगता है,हर कोई मुस्कुराता है....
ReplyDeleteचाँद पर सभी को प्यार जो आता है...
:-)
अनु
यहीं तो मात खा गईं अनु जी ...
Deleteसबका चाँद अलग-अलग होता है ..
और वो चाँद हमेशा नहीं दीखता भई...:
वाह :))
ReplyDeleteबहुत ख़ूब! वाह!
ReplyDeleteकृपया इसे भी देखें-
नाहक़ ही प्यार आया
सुन्दर हाइकू |निशा जी सुनहरी कलम पर आने हेतु आपका बहुत -बहुत आभार |
ReplyDeleteक्त -वक्त की बात है
ReplyDeleteकोई मुस्कुराता है
आसमां पे जब भी
चाँद नज़र आता है .......
बहुत खूब ! कोई पगलाता भी है ,जैसे समुन्दर !
बिलकुल सही बात कही आपने विभा जी .....ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद ..
Deleteबहुत दिनों के बाद बिहारी कमेंट्स मिला पढने को बहुत अच्छा लगा ...आते रहिये अपनापन लगा ....आप पटना की हैं ..मै भागलपुर से हूँ ...
आपकी रचना को समर्पित
ReplyDeleteमुस्कुराने के लिए गर चाँद ही काफी रहे
तो विरह में प्रेयसी क्यूँ कहीं व्याकुल फिरे ..
धन्यवाद सिंह साहब ..बहुत अच्छी और सटीक पंक्ति ..लेकिन कभी-कभी चाँद
Deleteका दीदार ही काफी होता है ..दिल की तसल्ली के लिए .....विभा जी का कमेंट्स काफी है समझने के लिए ...
वाह ... बहुत ही बढिया।
ReplyDeletesach kaha nisha ji ...vaise chand se sabhi ko pyar hai .........man ko mahakata hai
ReplyDeletesahi kaha shashi jee ...chand pr sabko pyaar aata hai....par chand kabhi.kabhi dikhta hai....
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (07-10-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
BAHUT-BAHUT DHANYAVAD ND AABHAR SHASTRI JEE...
Deleteसुंदर मुक्तक.
ReplyDeleteचार पंक्तियों में ही पूरी बात
ReplyDeleteबहुत सुंदर
aap bhee muskuraati rahiye aise hee!
ReplyDeleteबढ़िया भाव कणिका .प्रकृति पर आरोपण अपने सुख का अनुभूति का .अन्दर अंदर लड्डू फूटने का .
ReplyDeleteसही कहा!
ReplyDeleteबहुत अच्छी तरीके से आपने बताया कि
ReplyDeleteचाँद
आज क्यों मुस्कुरा रहा है
आस्माँ पर शायद
किसीने अपनी
खुशी बाँटी है
उसके साथ।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
वाह ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर मुक्तक!!!!!
ReplyDeletewah! ati sundar !!
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