साजिश सुन घरवालों की
अजन्मी बिटिया करे गुहार
मत मारो मुझे वक्त से पहले
सुन लो मेरी पुकार ......
ताना सुनकर भी माँ मुझको
खुद से जुदा न करना
जमीं तुम मेरी बनना मैं ...
आसमान बन जाउंगी
लू के थपेड़ों में मैं ....
बदली बन छा जाउंगी ...
बेदर्द इंसानों की बातों पर
मत देना तुम ध्यान
वादा करती हूँ ..
बनूँगी तेरी ही पहचान .....
जिस बेटे की आस में
करोगी ऐसे निर्मम कर्म
वही बेटे अपनी ख़ुशी के खातिर
भेजेंगे तुम्हें वृद्धाश्रम ....
माँ काली ,माँ दुर्गा है
माँ शक्ति की शक्ति
आंच आये बिटिया पर तो ......
माँ कुछ भी कर सकती है .....
किसी की बातों से
तुम मत होना लाचार
तेरे सारे सपनों को माँ ..
करुँगी मैं साकार ....
मत भूलो मैं भी हूँ
तेरे शरीर का ही अंश
मुझसे भी आगे बढेगा ..
प्यारा तेरा वंश ....
जो भी करना हो माँ कर लो ...
हिम्मत नहीं हारो
चहकने दो अपनी गोद में
माँ ....मुझको नहीं मारो ......
माँ ....मुझको नहीं मारो ...
बिल्कुल सच है
ReplyDeleteजिस बेटे की आस में
करोगी ऐसे निर्मम कर्म
वही बेटे अपनी ख़ुशी के खातिर
भेजेंगे तुम्हें वृद्धाश्रम ....
बेटी को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। सामाजिक चेतना जगाती बहुत सुंदर रचना
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (13-10-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
bahut sundar rachna.............beti bachane ka abhiyan jari rahe .........
ReplyDeleteबहुत ख़ूब वाह!
ReplyDeleteआपकी नज़रे-इनायत इसपर भी हो-
रात का सूनापन अपना था
घर की शान होती हैं ये बेटियां उनसे पूछे कोई कि कितने अकेले हैं जिनके बेटियां नहीं हैं | बधाई ऐसी शानदार पोस्ट हेतु मेरे ब्लॉग पर स्वागत है |
ReplyDeleteअजन्मी बेटी की गुहार
ReplyDeleteमाँ तुम ही सुनो पुकार
बहुत मर्मस्पर्शी रचना
जमीं तुम मेरी बनना मैं ...
ReplyDeleteआसमान बन जाउंगी
लू के थपेड़ों में मैं ....
बदली बन छा जाउंगी ...
डॉ निशा महाराणा जी इन लाइन में आपने माँ और बेटी के संवाद को जीवंत कर दिया .निःशब्द
पता नहीं ये पढ़े लिखे लोग कब समझेगे ....
ReplyDeletethanks to all...
ReplyDeleteजिस बेटे की आस में
ReplyDeleteकरोगी ऐसे निर्मम कर्म
वही बेटे अपनी ख़ुशी के खातिर
भेजेंगे तुम्हें वृद्धाश्रम ...
बेटी बेटिओं में अंतर करना उचित नहीं. सुंदर कविता.
बेटियों को बचाने माँ को आगे आना होगा ... ये बेटे-बेटी का ताना मारने वाली भी ज़्यादातर महिलाएं हीं हैं ...
ReplyDeleteमार्मिक रचना
ReplyDelete.. सुन्दर प्रस्तुती
बधाई स्वीकारें। आभार !!!
मेरी पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा
http://rohitasghorela.blogspot.com/2012/10/blog-post_17.html
हृदयस्पर्शी मार्मिक अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteपता नहीं ये पढ़े लिखे लोग कब समझेगे !हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति
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