Wednesday, September 4, 2013

चाणक्य बनकर चन्द्रगुप्त को पहचानिए

एक समय ऐसा था जब हमारे दिलों में 
माँ-बाप ,भाई-बहन ,सगे संबंधियों के साथ                           
लंगोटिया यार रहते थे----

एक समय ऐसा भी आया 
जब हमारे दिलों में किरायेदार रहने लगे 
जो समय-समय पर मनवांछित किराया चुकाते हैं 
मौका मिलने पर नए बसेरे की खोज कर 
फुर्र से उड़ जाते हैं(संबंधों का विकृत रूप )

भले हीं उनकी याद में हमारा दिल 
फूट-फूट के रोता है पर 
उन किरायेदार पर उसका असर 
भला कहाँ हो पता है ? 



वो तो नए सपने ,नई  महत्वाकांक्षा के साथ 
एक बार फिर से नया बसेरा बसाता है 
और जिन्दगी भर बसेरा बसाने की 
कोशिश में हीं लगा रह जाता है 

ऐसे लोगों का बसेरा क्या ? कभी बस पाता  है ? (दिग्भर्मित रहते हैं जिन्दगी भर )



ऐसे में क्या करें ? किसे दोष दें ?

मकान को घर बनानेवाली माँ का - ?(माँ प्रथम शिक्षक कहलाती है )

परीक्षा लेनेवाले परीक्षक का - ? ( प्रणाली में उपस्थित सारे लोग एवम परिस्थितियाँ )

या फिर देश के भावी कर्णधार को तैयार करनेवाले शिक्षक का - ? 

(शिक्षक विद्यार्थियों की दूसरी माँ कहलाते हैं  और बच्चे दूसरी माँओं का कहना  ज्यादा मानते हैं )


जो भावी कर्णधार को संवेदनशील इंसान बनाने के बजाय ----
राक्षसी प्रवृति वाले लोभी इंसान बना देते हैं और-----
समय आने पर --

अपनी आवशयकताओं की पूर्ति के लिए उनके आगे गिडगिडाते हैं 

सोचिये -------

               राष्ट्र का निर्माण करनेवाली माएँ 

अपनी आवशयकता की पूर्ति के लिए गिडगिडाएगी ---तो  ?

राष्ट्र की आत्मा भला चैन से कैसे रह पाएगी 

इसीलिए … हे माएँ ( हे शिक्षक ) ----

अभी भी समय है 
चाणक्य बनकर चन्द्रगुप्त को पहचानिए 
शिक्षक का चोला  उतारकर 
एक बार फिर से गुरु जी बन जाइये 

अपने विद्यार्थियों  को डॉक्टर ,इंजीनियर , नेता और शिक्षक
 बनाने के स्थान पर  ( पद के मद में चूर हो जाते हैं लोग )
संवेदनाओं से भरपूर इंसान बनाइये 
तभी राष्ट्र की माँ -बहन और बेटी भी 
सुरक्षित हो अपनी भूमिका निभाएगी और --
राष्ट्र की आत्मा भी चैन से रह पायेगी 


आप सभी को शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं 






21 comments:

  1. डॉक्टर ,इंजीनियर , नेता और शिक्षक
    बनाने के बजाय
    बजाय के स्थान पर भी भी चलेगा :)

    ReplyDelete
  2. thanks ..vani jee aapke anmol sujhaw ke liye .....

    ReplyDelete
  3. वर्तमान में शिक्षा का क्षेत्र चैलेंज बनकर उभर रहा है और इसे चैलेंज मान ही अपना कार्य करना है। दूसरी मां बना अध्यापक सच्चे मायने में गुरू बने और चाणक्य बन चंद्रगुप्त को पहचाने भी। सुंदर और सही कविता बाजारीकरण पर भी कठोर आघात करती है।

    ReplyDelete
  4. Its a clarion call but in the present situation there are few takers .
    Wish you a very Happy Teacher's Day .
    latest post: सब्सिडी बनाम टैक्स कन्सेसन !

    ReplyDelete
  5. शिक्षक दिवस की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  6. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  7. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति..
    :-)

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  9. थोड़ी विलंब से आपको शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं
    जब हमारे दिलों में किरायेदार रहने लगे.... बहुत खूब
    राष्ट्र की आत्मा भी चैन से रह पायेगी
    दुआ करूंगी कि आपकी पुकार पर कुछ तो सुधार हो ....

    ReplyDelete
  10. सुंदर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  11. बहुत खूब लिखा है। शुक्रिया आपकी टिपपणी का।

    ऐसे मकान में रहके चले जाने का क्या फायदा जहां से होस्ट ही नदारद हो न मूल्य न ईश वन्दना फिर जीवन ऐसा ही होगा।

    ReplyDelete
  12. बहुत ही प्रभावशाली रचना.....
    समय की मांग है की गुरु शिष्य का सही चरित्र निर्माण करे ..

    ReplyDelete
  13. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  14. बहुत ही प्रभावशाली रचना.....
    समय की मांग है की गुरु शिष्य का सही चरित्र निर्माण करे..

    ReplyDelete
  15. बहुत ही प्रभावशाली रचना.....
    समय की मांग है की गुरु शिष्य का सही चरित्र निर्माण करे..

    ReplyDelete
  16. आज जब गुरु और शिष्य के रिश्ते कलंकित हो रहे हैं, ऐसे विचार ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने की जरूरत है.

    ReplyDelete