Tuesday, September 25, 2012

तुम कहते हो !

याद उसे करते हैं
जिसे भूल जाते हैं
मिलना उससे पड़ता है
जिससे दूर होते हैं
तुम तो मेरे दिल की
धड़कन में रहते हो ........
भूल गई मै तुमको
ये तुम कहते हो ????

24 comments:

  1. बिल्‍कुल सही

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    1. jise ham sabse jiyaada chahten hain aksar wahi ye shikayat karta hai .....wo koi bhi ho sakta hai bhai -bahan-dost -beta -beti -premi -premika etc.....

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  3. एकदम सही..
    जो दिल में है वो
    वो कहाँ दूर है..
    बहुत सुन्दर ...
    :-)

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  4. तुम तो मेरे दिल की
    धड़कन में रहते हो ........
    भूल गई मै तुमको
    ये तुम कहते हो ????

    ये अक्सर क्यों हो जाता है ?
    बहुत सुन्दर दिल से कही बात

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    1. yahi to jindgi hai ....jindgi ke padav hain ....shikwa -shikayat n ho to apnepan ki pahchan kaise hogi ?

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  5. और धड़कन तो
    भूलने और याद
    करने की चीज नहीं
    स्वत:स्फूर्त है
    जिंदगी है !

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  6. swaal krne ka andaz bha gya dil ko . aapki sbhi pichhli post bhi dekhi . behtreen . bdhai aapko .

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  7. बेहद भाव पूर्ण ...मन के भाव...

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  8. yaad karna/aana aur bhulna ek hi sikke k do pehlun hain.....

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  9. .

    जिसके लिए सबको छोड़ा …
    वही तुम …

    "भूल गई मै तुमको
    ये तुम कहते हो ????"

    तुम !

    मन की अधीरता का अच्छा चित्र है …

    मंगलकामनाओं सहित…

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  10. .

    चित्र कविता के मेल का लगाया करें , कृपया !

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  11. प्रस्तुति अच्छी लगी। मेरे नए पोस्ट 'बहती गंगा' पर आप सादर आमंत्रित हैं।

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