वहाँ घटा देती हूँ
जहाँ घटाना चाहिए
वहाँ जोड़ देती हूँ
तुम कहते हो ..मै ...हमेशा
कैलकुलेशन में लगी रहती हूँ
ऊपर वाले की माया है ये
ये तो वही जाने ...
मेरी किसी बात को
कभी ना तुम माने
ओ दिमाग वाले ...
दिमाग के सारे काम
दिल से निबटाती हूँ ....
इसीलिए हमेशा .
.कैलकुलेशन में गड़बड़ा जाती हूँ ....
दिल और दिमाग से
विश्वास के बलबूते ..मैं ..
एक हीं काम करती हूँ
जितना फैल सकती हूँ
फैल जाती हूँ ....
अगले हीं पल पुनः
सिमट जाती हूँ ....
इस क्रम में
जमीं मेरी राहों में
आसमां मेरी बाँहों में और
खुशियाँ निगाहों में होती है ..
जमीं ,आसमां और खुशियों के बीच ....तुम्हें ...ये
कैलकुलेशन कहाँ दिख जाता है ?
कल भी मुझे मालुम न था
न आज कुछ पता है ......
दिल और दिमाग से
ReplyDeleteविश्वास के बलबूते ..मैं ..
एक हीं काम करती हूँ
जितना फैल सकती हूँ
फैल जाती हूँ .....
....बहुत सुन्दर और सटीक सोच और उसकी सुन्दर अभिव्यक्ति...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletelatest post सजा कैसा हो ?
latest post तुम अनन्त
l
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
ReplyDelete--
शस्य श्यामला धरा बनाओ।
भूमि में पौधे उपजाओ!
अपनी प्यारी धरा बचाओ!
--
पृथ्वी दिवस की बधाई हो...!
जीवन में इतना जोड़तोड़ कहां चलता।
ReplyDeletebahut mushkil hai ......jod tod wala mamla .....par kvchh log kar lete hain ....apne samajh me to nahi aata ...
Deletebeshak ak behatareen prastuti, दिमाग के सारे काम
ReplyDeleteदिल से निबटाती हूँ ....
इसीलिए हमेशा .
.कैलकुलेशन में गड़बड़ा जाती हूँ ....
दिल और दिमाग से
विश्वास के बलबूते ..मैं ..
एक हीं काम करती हूँ
जितना फैल सकती हूँ
फैल जाती हूँ ....nice thought
बहुत ही सुंदर रचना ...
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ReplyDeleteसुंदर अनुभूति सार्थक सोच
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
दिमाग के सारे काम
ReplyDeleteदिल से निबटाती हूँ ....
फिर गड़बड़ की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती.
सुन्दर सचना.
डॉ.निशा जी आपकी कविता इंसान होने का एहसास दिलाती है। हमेशा पाया जाता है कि आदमी अपने रिश्तों का मोल-तोल, लेन-देन करता है। पर जिंदगी कोई वस्तु नहीं कि जिसका मूल्य पैसों और कॅलक्युलेशन में आंका जाए। दिल सर्वोपरि है। जिस पर कविता में आपने बडी ईमानदारी से प्रकाश डाला है। कॅलक्युलेशन में गडबड हो कोई फर्क नहीं पडता पर फैलना जरूरी है। आपकी कविता के भीतर का 'फैलाव'विशाल हृदय का परिचय देता है।
ReplyDeletethank...u..vijay jjee .....aap bahut accha vishleshan karte hain ......thanks again ....
Deletedil ka faisala hamesha sahi hi hota hai, tatkal bhale hi aisa na prateet ho.
ReplyDeleteइस क्रम में
ReplyDeleteजमीं मेरी राहों में
आसमां मेरी बाँहों में और
खुशियाँ निगाहों में होती है ..
आपने माँ बहन बेटी या कहूँ नारी की गरिमा को खुबसूरत शब्द दे दिए बधाई ..
thanks to all...
ReplyDeleteइस क्रम में
ReplyDeleteजमीं मेरी राहों में
आसमां मेरी बाँहों में और
खुशियाँ निगाहों में होती है
बहुत खूब कहा आपने ...
दिल और दिमाग से
ReplyDeleteविश्वास के बलबूते ..मैं ..
एक हीं काम करती हूँ
जितना फैल सकती हूँ
फैल जाती हूँ .....
सुन्दर अभिव्यक्ति
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर।
thanks shashi jee ....
Deleteजीवन में जोड़ घटाव चलता रहता है .............बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeletedhanyavad mathur sahab .....
ReplyDeleteजमीं ,आसमां और खुशियों के बीच ....तुम्हें ...ये
ReplyDeleteकैलकुलेशन कहाँ दिख जाता है ?
कल भी मुझे मालुम न था
न आज कुछ पता है ......
वाह वाह तारीफ़ के लिये हर शब्द कम लग रहा है।
दिमाग वाले के पास दिल है क्या???
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भाव हैं निशा जी...
सादर
अनु
hai n aakhirkar jeene ke liye blood to wahi deta hai ....dhanyavad anu jee ...
Deletesabdo aur bhavnao ke sangam me tairta carculation
ReplyDeletesabdo aur bhavnao ke sangam me tairta carculation
ReplyDeletemaths me to Dil fail ho hi jata hai ...
ReplyDeletekammal ka likha hai ..
ReplyDeleteimpressing mam...nice one
ReplyDeletenice...
ReplyDeleteइस क्रम में
ReplyDeleteजमीं मेरी राहों में
आसमां मेरी बाँहों में और
खुशियाँ निगाहों में होती है ..
आदरणीया निशा जी जिन्दगी एक पहेली जिन्दगी एक उलझन जिन्दगी एक सूझ सब कुछ तो है ...जिन्दगी के गणित से रूबरू कराती अच्छी रचना
भ्रमर ५
बहुत बढ़िया रचना
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