Wednesday, July 13, 2022

गुरु



शिष्य रूपी गीली मिट्टी को गढ़ कर
बन जाते कुम्हार
गुरु की उसी दिव्यता को
याद करता है संसार......

ज्ञानरूपी भूख मिटाकर
बढ़ाते शिष्य का ज्ञान
अनुर्वर मन - मस्तिष्क को उर्वर
बना  बन जाते हैं किसान ....
गुरुरूपी उस शख़्स के आगे
नतमस्तक हो जाते हैं भगवान ....

 आप सभी को गुरु पूर्णिमा की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं .....
🙏🙏💐💐💐

डॉ निशा महाराणा





Tuesday, September 21, 2021

 बीते वक्त को लौटाया नहीं जाता

अपनों की यादों को भुलाया नहीं जाता

नैनों में जिसके अपनों के स्नेह के समंदर भरे हों ...... उन आंखों को रुलाया नहीं जाता  ....

💐💐 खुश रहें वो भी जो हमसे दूर बहुत ..... दूर  हैं .... 



Wednesday, September 8, 2021

हर्ष

सबके दिलों में हर्ष है

स्वतंत्रता का 75 वां वर्ष है

अमृत महोत्सव और हिंदी दिवस के उपलक्ष्य के बीच सुन्दर ये संदेश है ...

Thursday, January 24, 2019

सूरज लूट गया


विहँस रही है रजनी 

तारे चमक रहे 
रातरानी के सानिध्य में  
मौसम गमक रहे 
कलियाँ - कलियाँ झूम रही 
दिशायें मुस्कुराई 
आनंद के रथ पे हो सवार 
नाची पुरवाई 
आगोश में चाँदनी के 
तम दुबक गया 
चंदा की नगरी में  
सूरज लूट गया। 

बहुत दिनों के बाद आख़िरकार मौका निकाल  ही लिया  ..... 

Wednesday, September 20, 2017

बाबुल तेरे बिन

पल बदला घंटों में
घंटों से दिन 
ऐसा लगता सदियाँ बीती
बाबुल तेरे बिन .....
 मूरत वो  है नही 
ममत्व खिलखिला रहा
माली बदल गया पर
बाग लहलहा रहा ....
जीवन के हर मोड़ पे
याद आपकी आती है
प्रकृति के कण कण में
सूरत आपकी हीं नजर आती है
भूले बिसरे वक्त भर जाता 
खुशियाँ अपरम्पार
कौन भूला सकता है भला 
मातु -पिता का प्यार ?
दिन बदलता रातों में 
रातों में है दिन
जीना मैंने सीख लिया
बाबुल तेरे बिन ......सर्व पितृ अमावस पर मेरे दिल के भावों का अर्पण ---- उनके लिए जिन्होंने मुझे मेरे होने के मायने समझाए थे। 

Monday, April 3, 2017

कहते हैं लोग

कहते हैं लोग तारे आसमाँ पे होते हैं
मन में कोई खुद के झाँक के देखे
वहाँ भी असंख्य दिपदिपाते
सपनों से भरे सितारे होते हैं...

Wednesday, February 22, 2017

आज दिल मचल गया

बहुत दिनों से ब्लॉग की पुकार को अनसुना   कर रही थी पर  ..... आज आना ही पड़ा...... दिल के उदगार को 
व्यक्त करने। . 
          १.
अपनी अपनी डफली 
अपने अपने राग 
धूल भरी आँधी से प्रकृति 
खेल रही है फाग...... 

         २. 
पतझड़ के वियोग में 
प्रकृति हुई उदास 
नैनों में लिए प्रेम संदेशा 
आ गया पलाश,,,,,
  
        ३. 

राहें खिलखिला उठी 
ज्यों मंज़िल आई पास 
चेहरा वे चुराने लगे 
जो उड़ाते थे उपहास-----


         ४.

देखा है मैंने 
हवाओं को बलखाते 
आसमाँ के तारे 
यूँ हीं नहीं झिलमिलाते ---


        ५. 

बुझे -बुझे से क्यों हो दिल 
मन क्यों हो तुम उदास 
मिलना था जो मिल गया 
अब काहे का प्यास  ?

आज के लिए बस इतना ही मेरे गुप्त ब्लागर साथियों। वो भी सिर्फ इसीलिए की आज दिल मचल गया।