.होली के अवसर पर पति महोदय पत्नी को काम की वजह से
घर नहीं आ पाने की मजबूरी बता रहे हैं ....परिणाम
कविता के माध्यम से जानते हैं .....
क्या ..काम बहुत है ...इस बार होली ..
में नहीं आ पाओगे .......?
मत आना परदेशी पिया मैं ......
कुछ नहीं बोलूँगी ....
अब की सजन मैं ..हो..ली ....
आपके दोस्तों के संग खेलूंगी .....
लाल,पीले ,हरे, गुलाबी ..
रंग मुझे भिजवा देना
कौन-कौन से दोस्त यहाँ हैं ..?
उनके मोबाइल नम्बर भिजवा देना ....
गली ,मोहल्ले .घर-बाहर सभी ..
देवरों और जीजाओं के नामों की सूची बनाकर
छप्पन पकवान बनवाऊगी ....आग्रह करके बार-बार
सभी को घर आपके बुलवाऊंगी .....
अगली होली भी साथ खेलूंगी उनके
सबको विश्वास दिलाऊगी ......
सुबह-दोपहर रंग लगाकर
शाम में गुलाल लगाऊगी ..
अब की होली में सजन मैं ..
झूम-झूम के गाऊँगी ......
मरुस्थल में फूल ...कमल....का ....?
किस्मत से हीं खिला है .....
होली में बंधनमुक्त रहने का मौका ...
पहली बार मिला है .....
इस मौके का फायदा ...
जीभर ..मैं ..उठाऊगी ....
जीवन के सारे कडवाहट ..
रंगों के साथ भूल जाऊँगी ..
अब की सजन मैं ..होली ...में
अल्हड बाला बन जाऊँगी ....
बनकर तितली मैं ..बगिया के ..
हर फूल पर मंडराऊगी ...
इस बगिया से उस बगिया तक
मर्जी से लहराऊंगी ..
अब की सजन मैं होली में ..
झूम-झूम के गाऊँगी ......
होली के दिन देखिये क्या होता है .......
बसंत दूत की मीठी कूक
बगिया में लहराई ...
रंगों के माहौल में वो .....
ख़ुशी से चिल्लाई ...
असम्भव को संभव कर दिया
हो निशा बड़ी नशीली ..
खाका खींचा औरों के संग ..पर….
खेली पिया संग होली ......
एक पत्नी होने के नाते हर महिला को
अपने पति की कमजोरी के बारे में जानकारी
रखनी चाहिए कई बार बिना झगडा या गुस्सा किये ही
काम हो जाता है .....
वैसे भी पति नामक इंसान अधिकतर दोहरी मानसिकता वाले
होते हैं ..खुद तो दूसरों की बीवी पर नज़र रखते हैं पर अपनी
बीवी को ज़माने की निगाहों से बचाकर रखना चाहते हैं ....
वस्तुत:बड़े कमजोर होते हैं ...पति बनाम पुरुष ....बुरा न मानों होली है ....