Friday, May 24, 2013

दिल बंजारा

फूलों का  खुशबू से 
 बादल का बूँदों से
रवि का किरणों से 
झरनों का  जल से .....
जनम -जनम का नाता है ....
तनहाई के आलम में 
दिल बंजारा गाता है ....

Sunday, May 12, 2013

.वो केवल और केवल ....माँ थी ....

जब भी मैं घबराती 
भीड़ से कतराती 
एक अनोखी ढाल लिए वो ...
सामने मेरे आती ....                          


कहतीं वो मुझसे 
हाथी चले बाजार तो…… 
कुत्ते भौकें हजार 
इन कुत्तों से घबराना क्यों ?
दिल को अपने सहमाना  क्यों ?

जब भी मैं कभी  उन्हें उदास दिखी 
मुस्कुराते हुए कहा उन्होंने ...
निशा ..तुम्हारी किस्मत ..भगवान् ने ..(शायद हर माँ ऐसा विश्वास दिलाती                                                                                                                                                                                           
                                                          है  अपने बच्चे को )
                                                              
सोने के कलम से लिखी .....

इसीलिए कभी जिन्दगी में 
उदास नहीं होना 
परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी हो 
हरदम हँसती  रहना .....

याद रखना ..
पानी की अधिकता और कमी से 
पौधे रहते हैं कुम्भलाये 
जो मिल-जुलकर खाए 
वही राजा  घर जाए ......

राजा  और रानी की कहानी उसने 
कई बार सुनाई थी ....
बिना कहे कई बातें अनजाने में ..हीं ...
सिखाई थी .....

माँ बनकर जान गई 
कितना कठिन होता है 
माँ की भूमिका निभाना 
आसान नहीं होता 
बच्चों को अच्छी बातें सिखलाना ...

आज वो नहीं होकर..... भी है .....
मेरी हँसी की खनक में 
मेरे चेहरे की चमक में ......

वो कल भी थी ..
वो आज भी है ....
वो कल भी रहेगी ..
                  क्योंकि ... वो
 न औरत थी
न पत्नी थी  
 न बहन थी 
न बेटी थी ....वो केवल और केवल ....माँ थी .....