पल बदला घंटों में
घंटों से दिन
ऐसा लगता सदियाँ बीती
बाबुल तेरे बिन .....
मूरत वो है नही
ममत्व खिलखिला रहा
माली बदल गया पर
बाग लहलहा रहा ....
जीवन के हर मोड़ पे
याद आपकी आती है
प्रकृति के कण कण में
सूरत आपकी हीं नजर आती है
भूले बिसरे वक्त भर जाता
खुशियाँ अपरम्पार
कौन भूला सकता है भला
मातु -पिता का प्यार ?
दिन बदलता रातों में
रातों में है दिन
जीना मैंने सीख लिया
बाबुल तेरे बिन ......सर्व पितृ अमावस पर मेरे दिल के भावों का अर्पण ---- उनके लिए जिन्होंने मुझे मेरे होने के मायने समझाए थे।