Thursday, January 30, 2014

गाती जाए सोन चिरैया-----

घर छोटा और गाड़ी छोटी पर ---
दिल बड़ा रखना भैया 
मेरे छत के मुंडेरे  पे 
गाती जाए  सोन चिरैया-----

कुर्ते गंदे और जूते गंदे पर ---

नीयत  साफ रखना भैया 
मेरे छत के मुंडेरे पे 
गाती जाए सोन चिरैया ---

संदूक  खाली और हाथ खाली पर ---

आँखें भरी(सपनों से) रखना भैया 
मेरे छत के मुंडेरे पे 
गाती जाए सोन चिरैया ---

मन पर बंधन  तन पर बंधन  पर ---
दिमाग स्वतंत्र रखना भैया 
मेरे छत के मुंडेरे पे 
गाती जाए सोन चिरैया ---

Tuesday, January 7, 2014

मेरी माँ






सात जनवरी २ ० ० १ को काल के क्रूरतम चक्र ने 
मेरी माँ को मुझ  से जुदा  कर दिया था पर मुझे कई बार महसूस हुआ है कि अगर हम   किसी को बेइन्तहा  प्यार करते हैं तो दुनिया की  कोई ताकत हमें  उनसे जुदा नहीं कर सकती ---मैं जब भी कभी बहुत गहरे सदमें या दुःख में  घिरी रहती हूँ तो मेरी माँ सपने में आकर मुझे refresh कर देती हैं. आज माँ की  पुण्यतिथि है उन्हें गए तेरह साल हो गए पर ऐसा लगता है वो मुझसे दूर नहीं है यहीं आसपास हैं कहीं। वो मुझे दिखती हैं खेतों की  हरियाली में-- गेहूँ की  बाली में। मटर की  फली मुझे  बचपन में अच्छी नहीं लगती थी पर माँ इतने प्यार से तोड़ कर खिलाती थीं कि मै 
मना नहीं कर सकती थी। मटर ,चने और सरसों की  भाजी मुझे तब भी अच्छी लगती थी और आज भी अच्छी लगती है पर मटर की  फली आज सबसे ऊपर है प्राथमिकता कि सूची में। खरीदी हुई नहीं --खेत में लगी हुई। जब भी मौका मिलता है---मैं फसल से भरे खेतों में अवश्य जाती हूँ। अजीब सा सुकून मिलता है मुझे वहाँ।

              माँ को समर्पित है मेरे दिल के कुछ उदगार ------


हरियाली उनकी आन थी 
हरियाली उनकी शान  थी 
बहुत बड़ी हस्ती,,,,,,?  तो नहीं थी पर,,,,,मेरी माँ ,,,,
एक सरल-सहृदया  किसान थीं।  

जिसकी ममता का भंडार कभी 
खाली  नहीं होता था,,,

उस ममत्व की  कमी से --कभी-कभी लगता है ----
   ---- ये दुनिया वीरान ----

  -----    तेरे बिन -----
सूना हो गया मेरा मायका --मेरी माँ ---

तेरी जैसी माँ हर किसी के नसीब नहीं है 
    मेरे जैसी हर बिटिया  खुशनसीब नहीं है 

तेरे संग बिताये हर लम्हे को 
अपनी बिटिया के संग जीती हूँ 
बेटी नहीं अब माँ बन कर
 दुःख-दर्दों को पीती  हूँ ---

 कभी-कभी खुद से कई सवाल करती --
तेरी मुनिया ---कैसी अजीबोगरीब है ये दुनिया ?
जिसके लिए पुल बनाओ वो खाई खोद देता है 
जिसे सम्मान दो वो अपमान के गर्त में धकेल देता है 
जिसका फायदा करवाओ वो नुकसान करवाता है-- वहीँ --
दूसरी ओर एक अजनवी बिना लाभ-हानि की  परवाह किये 
इतना मान-सम्मान दे जाता है कि आँखें भर आती हैं और 
दिल गदगद हो जाता है ---
तेरी दी हुई हर शिक्षा मुझे  मार्ग दिखलाता है. 

हर पल  जो ख़ुशी से जियें  उसे कहते हैं--जी-वन-
इतना अच्छा जीवन देने के लिए माँ--तुम्हेँ---  बारम्बार नमन.....