Tuesday, November 22, 2011

मुर्गा बोला(भाग-२)


मुर्गा बोला -कुकडूँ कूँ-----
दुःखी ना हो
खुश हो जाओ तुम
कमी न रहे कुछ जीवन में
दौलत का अंबार लगाऊँगा
भारत की कौन कहे स्वीस बैंक में
खाता खुलवाऊँगा
तेरे नाम से चाँद पर प्लाट
बुक करवाऊँगा
दौलत की दुनियाँ में लिखवाऊँगा
स्वर्णाक्षरों में नाम तुम्हारा
मुर्गी रानी----मान भी जाओ
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?


मुर्गी बोली-----
मेरे जीवन धन तुम हो
मेरे प्रियतम तुम हो
भूलो मत----
धन से ,नक्काशीदार पलंग खरीद सकते हैं
नींद नहीं
छप्पन पकवान खरीद सकते हैं
भूख नहीं
सपने खरीद सकते हैं
स्वास्थ्य नहीं
नही चाहती मैं कि
धन के नशे में कदम तुम्हारा बहके
इतना ही हो दौलत मुझको
जिससे हमारे जीवन की बगिया महके
खुशी हो या गम हो
साथ हो एक दूजे का
प्यारे-प्यारे चूजे का
नहीं चाहिये प्लाट चाँद पर
न हीं दौलत की दुनियाँ में
लिखवाना है नाम हमारा
मुर्गे राजा मुझको चाहिये
केवल औ केवल साथ तुम्हारा।

Monday, October 31, 2011

मुर्गा बोला.....(भाग १)


मुर्गा बोला....
कुकड़ू कुं
झूठ नही सच मानो तुम 
फँसा हुआ था काम में नही मिली 
मुझे छुट्टी .......
छोटी सी इस बात पे 
नही करो तुम कुट्टी .....
गाँव की क्या बात मै तुमको ......
स्विट्जरलैंड ले जाऊंगा ......
दुनिया की हर खुबसूरत जगहों  की 
सैर करवाऊंगा .....
दिखलाऊंगा दिल खोलकर 
मनभावन हसीन नज़ारा......
मुर्गी रानी मान भी जाओ 
तुम बिन मेरा कौन सहारा ?


मुर्गी बोली ..........
ऊँची -ऊँची बातों से दिल मेरा बहलाते हो .....
मीठी -मीठी बातें कर
मुझे चने की झाड़ पे चढाते हो ?
सच क्या है ?झूठ क्या है ?
अंतर करना मैं जानती हूँ .......
लाख छुपाओ मुझसे खुद को पर ! मै ...तुम्हें...........?
अच्छी तरह पहचानती हूँ .....
जीवन की  हर उलझन से मुक्त होकर जहाँ ..........
गीत गए बंजारा ..........
छोटे से  प्यारे से गाँव में 
जाने को तरसरहा है दिल मेरा बेचारा ...

उस प्यारे से गाँव में ....
पीपल की ठंडी छांह में 
जहाँ सखियों की टोली हो .....
कोयल की मीठी बोली हो .....
बारिश का पानी औ कागज की कश्ती हो .....
जहाँ सखियों करती मनमानी हो ......
पद सत्ता औ दिखावे की चाह से ....
दुनियां बेमानी हो .....
नही जाना स्विट्जरलैंड मुझको 
न हीं देखना कोई हसीन नज़ारा ....
मुर्गे राजा मुझको चाहिए 
केवल औ केवल साथ तुम्हारा........


Thursday, October 20, 2011

मुर्गा बोला ....


मुर्गा बोला ....
कुकड़ू कु 
हुआ सबेरा जागो तुम 
दुनियां  जागी 
मुनियाँ जागी 
जाग रहा है 
घर सारा 
मुर्गी रानी 
मान भी जाओ 
तुम बिन मेरा 
कौन सहारा ?




मुर्गी बोली ........

खुद को दयनीय  बताकर 
दिल मेरा हर लेते हो ?
चाँद सितारे मेरे दामन में भरोगे .......
कहकर मुझे सब्जबाग दिखलाते हो ..........
छल करने की ये अनोखी अदा 
किस छलिये से सीखी है ?
देखी होंगी बहुत सारी पर ........
मुझ सी नही देखी होगी 
नही चाहिये चाँद सितारे 
नही महल न हरकारा 
मुर्गे राजा मुझको चाहिए 
केवल औ केवल साथ तुम्हारा .