
Sunday, August 25, 2013
Friday, August 23, 2013
सुमित संग रूपम
रणविजय कुमार
निशा मौसी का हाथ -प्यारा सा साथ
एक डाली के कई फूल-नानी का गाँव परियों का जहाँ …अभिनव,मनीषा मौसी ,सुनील मामा ,नानी, भावना , स्वर्गीय विमल किशोरी -बड़ी मौसी,अभिषेक आशीष।
कितना प्यारा अतीत हमारा -नानाजी ,मम्मी और मौसी,मौसाजी का साथ -बड़ा था न्यारा
रिश्तों का रूप बड़ा अनोखा-मम्मी की गोद से मैंने देखा-राहुल रौशन
दिल में मची खलबली
छोड़ हमारा प्यारा सा,सुन्दर सा ,छोटा सा प्राकृतिक घोंसला
प्यारी मौसी पी -संग चली
प्यारा सा वो आँगन जहाँ अपनापन रहता था-नानाजी ,नानीजी ,पापा ,मम्मी,मौसी एवम भाई-बहनों का साथ - स्वर्ग सा बसेरा
रखिया बंधा ले भैया सावन आला -संकेत की पहली राखी
मान लेना मम्मी का कहना -प्यारी बहना मिलती रहना -रूपम प्रिया और स्वाति प्रिया
सुखमय पल --ख़ुशी ,स्वाति,मनीषा ,राहुल, रुपम,ईशा और बड़े दामाद गौतम जी -रूपम ससुराल चली अब
ईशा की करनी है तैयारी। चिंता मत करो राहुल आएगी तेरी भी अभी बारी----

लाडों में पली ,नाज़ों से पली ,प्यारी बिटिया ससुराल चली
दो पथिक मिले ,एक राह चले ,दो सपनों ने ली अंगड़ाई -सुमित संग रूपम
लिए नयनों में सुनहरे सपने -पहुंची पी के घर अपने
समय-समय पर भेजना बहना अपना सन्देश
यही कामना कर रहा है राहुल संग पुष्पेश

खुश रहना तुम घर में अपने स्वर्ग उसे बनाना
हम सबकी तहेदिल से यही है मनोकामना
एक डाली के हैं हम फूल
संबंधों की जमीं पर खुशियों का जहाँ हो -जेठ और जेठानी
चाँद -तारों से भरा एक प्यारा सा आसमान हो
अमित आनंद से भरा रहे जीवन
न हो कोई कमी

भाव -विह्वल हो दिल बरसा
आँखों में है नमी -- -सासू माँ और ससुर जी
माँ तो नहीं बन सकती पर-----
माँ -सी (मौसी) हूँ तेरी
खुशियाँ सहचरी बने
दुआ है मेरी
जैसे अँगूठी में धातु और नगीने की
जोड़ी होती अनुपम
वैसे हीं जुडी रहे सुमित संग रूपम
बँधे रहे अटूट बंधन में
कम न हो कशिश
अमर रहे सुहाग तुम्हारा
देती यही शुभाशीष
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