बनाना चाहो तो
बिगड़ जाता है
चाँद चाँदनी की
हर कोशिश पे
खिलखिलाता है
क्या हुआ जो
रास्ते पे चट्टान
आ गिरी
चट्टान से बचकर
निकलना मुझे आता है
बिना कुछ कहे चाँदनी
खिलखिलाती है
हो परिपूर्ण बुलंद हौसले से
चाँद से नज़रें मिलाती है
उबड़-खाबड़ रास्तों पे
रहती सबसे हिल-मिल
लहरों के रथ पे हो सवार
करती रहती झिलमिल