यादें तेरी गलियाँ
जब,जबरन मानस पे छाती है
उखड़ा-उखड़ा दिल रहता है
आँखें छलक जाती है,,,,,,,
अपनों का नेह
वो निश्छल स्नेह
वो ममता की छाया
किसने चुराया ?
छोटी-छोटी बातें हैं
रहस्य है गम्भीर
हँसकर जिसने इनको झेला
उसे कहते हैं वीर,,,,,,,
विचित्रताओं की दुनिया है
अपनों में अपना है कौन ?
हर पल दिल उन्हें ढूँढता
प्रकृति भी है मौन,,,,,,

उखड़ा-उखड़ा दिल रहता है
आँखें छलक जाती है,,,,,,,
अपनों का नेह
वो निश्छल स्नेह
वो ममता की छाया
किसने चुराया ?
छोटी-छोटी बातें हैं
रहस्य है गम्भीर
हँसकर जिसने इनको झेला
उसे कहते हैं वीर,,,,,,,
विचित्रताओं की दुनिया है
अपनों में अपना है कौन ?
हर पल दिल उन्हें ढूँढता
प्रकृति भी है मौन,,,,,,