
राहगीर थे मगर अनजान
निशा की ओट से देखो कैसे
झाँक रहा बिहान ----
कृत्रिमता से दूर रहकर
स्नेह सदा सहेजना
जलना धूप -अगरबत्ती बन
मेरी बातों का मर्म समझना ----
वर्तमान अतीत बन कर
कागज के पन्नों में समा गया
भविष्य भावों में ढलकर
वर्तमान पे छा गया --
तेरी खुशियाँ -तेरे सपने
सारे हो साकार
विदा लेते कह रहा २०१४
२०१५ ले रहा आकार …
सभी ब्लॉगर साथियों को नए वर्ष की बहुत -बहुत शुभकामनाएं ---
भगवान करे इस नए साल में आपको, आपके स्तर के दोस्त मिले --दुश्मन भी मिले ताकि आपका जीवन काँटों में घिरकर फूलों जैसे खिले। ....... इसके लिए बस आपको इतना करना होगा कि आप मर्यादित रहें --संयमित रहें साथ हीं साथ .…… अपने और अपने परिवार के प्रति ईमानदार रहें ----अगर मेरे शुभचिंतक हैं तो -----
मुझे भी कुछ सुझाव अवश्य दें---टिप्पणी के रूप में -----
समर्पित --पी -एच -डी -कोर्से वर्क की पुरी टीम को।