
कुछ अनकही रह जाती है
अपनों की अपनी सी बातें
रह-रह कर तड़पाती है ----
चले गए जो पूरा कर
अपने सारे काम
पहुँचा देना प्रभू--- उन तक ---
मेरे प्यार का पैगाम
जिनके दिए संस्कारों से
पथ अपना आलोकित करती हूँ
यादों को उनके संग लिए
हर पल आगे बढ़ती हूँ ---
मिलना बिछुड़ना
जन्म - मृत्यु
जीवन की है रीत
करती हूँ तहेदिल से बाबुल
तुम्हें श्रद्धा -सुमन अर्पित---
सर्वपितृ अमावस पर माँ और बाबूजी को समर्पित हैं मेरे दिल के ये उदगार।